भोपाल । नूतन महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अन्तर्गत एक लघु संग्रहालय की स्थापना की जा रही है, जो प्राचार्या के मार्गदर्शन में इस संग्रहालय की परिकल्पना तैयार की गयी है। संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं के तकनीकी सहयोग के लिए एक टीम गठित की गयी है जिसमें बीके लोखण्डे क्यूरेटर बिड़ला संग्रहालय, एस के पांडे मानव संग्रहालय तथा पूजा सक्सेना पुरातत्वविद् धरोहर संस्था सम्मिलित हैं।
संग्रहालय में प्रागैतिहासिक काल से लेकर मध्ययुग तक के एतिहासिक स्त्रोतों को दर्शाया जा रहा है। यहाँ भीमबैठका विश्वदाय स्मारक के महत्व को दर्शाते हुए आदिमानव द्वारा किये जा रहे शैलचित्र अलंकरण की तकनीक को एक थ्रीडी मॉडल के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है। इस संग्रहालय की विशेषता यह है कि इसमें आदिमानव के द्वारा प्रयुक्त ओरिजनल पाषाण उपकरण, ताम्रपाषाणिक तथा सिंधु घाटी सभ्यता के ओरिजनल मृदभाण्डों को प्रदर्शित किया जा रहा है। आदिमानव के पाषाण उपकरण तथा सिंधु घाटी के मृदभाण्ड सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास के द्वारा महाविद्यालय को भेंट किये गये हैं। ताम्रपाषाणिक मृदभाण्ड श्री लोखण्डे जी द्वारा महाविद्यालय को सहर्ष उपलब्ध कराये गये हैं।
संग्रहालय में विभिन्न प्रतिमाओं की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की गयी हैं जिसमें सारनाथ का अशोक स्तम्भ, भरहुत की यक्षी, मन्दसौर के कार्तिकेय, विदिशा की महिषासुरमर्दिनी, आशापुरी के उमा-महेश, नचना का पार्वती मस्तक, मंदसौर की गौरी, सिहोनिया की सरस्वती, हिंगलाजगढ़ के गरुड़ासीन विष्णु, एरण के देवकी-कृष्ण, ग्वालियर के बुद्ध तथा जबलपुर से प्राप्त जैन मस्तक आदि हैं।
हिन्दी भाषा की लिपि ब्राह्मणी से देवनागरी तक के विकासक्रम को दर्शाते हुए भी एक प्रादर्श यहाँ रखा जा रहा है। इसके साथ ही मंदिर स्थापत्य के विकासक्रम को भी छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। सुरक्षा की दृष्टि महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किलों की मुख्य विशेषताएं और मध्यप्रदेश के मुख्य किलों की जानकारी भी यहाँ दी जा रही है।
संग्रहालय में साँची के स्तूप की प्रतिकृति मुख्य आकर्षण होगी। यहाँ आहत सिक्कों से लेकर मध्ययुग तक के सिक्कों को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। प्राचार्या महोदया के निर्देशानुसार इस संग्रहालय में डॉक्यूमेंट्री कार्नर बनाने की भी योजना है, जिसमें भारत की धरोहरों, स्मारकों और संस्कृति आदि से सम्बन्धित लघु फिल्मों आदि का प्रदर्शन किया जा सकेगा।
यह संग्रहालय निश्चित ही महाविद्यालय की इतिहास एवं अन्य विषयों की छात्राओं को भारतीय संस्कृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये
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