मिशन अमृत सरोवर: 25 हजार सरोवर का निर्माण किया पूरा

नई दिल्ली । देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प तेजी से आकार ले रहा है। जी हां, ‘मिशन अमृत सरोवर’ के शुभारंभ के 6 महीने के भीतर 25 हजार से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण पूरा भी कर लिया गया है। वहीं अगले साल 15 अगस्त तक 50 हजार अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

75 अमृत सरोवर की संकल्प यात्रा कैसे बढ़ रही आगे ?

पीएम मोदी ने देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का संकल्प देश की जनता के साथ मिलकर लिया है। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना बड़ा अभियान है। जी हां, इस अभियान को आगे बढ़ता देख आज प्रतीत होता है कि अब वह दिन दूर नहीं जब आपके अपने शहर में 75 अमृत सरोवर होंगे। इसी अभियान के तहत आज देश में 25,000 अमृत सरोवर बनाए भी जा चुके हैं।

कब तक पूरा होगा यह मिशन ?

वहीं भारत सरकार ने यह ‘मिशन अमृत सरोवर’ 15 अगस्त 2023 तक पूरा किया जाने का लक्ष्य तय किया है। इस दौरान देश में लगभग 50,000 अमृत सरोवर का निर्माण किया जा सकता है। इनमें से प्रत्येक अमृत सरोवर में 10,000 घन मीटर की जल धारण क्षमता के साथ लगभग 1 एकड़ का क्षेत्र होगा।

करीब 90,531 स्थलों पर सरोवर बनाने को लेकर हुई थी पहचान

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार 17 नवंबर तक अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए लगभग 90,531 स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें से 52,245 स्थलों पर काम शुरू कर दिया गया है। यह संख्या अमृत सरोवर के रूप में वर्षा जल संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कब शुरू हुआ यह मिशन ?

जल संरक्षण एवं जल संचयन के उद्देश्य से और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट दूर करने के लिए पीएम मोदी के आह्वान पर आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के संकल्प के साथ मिशन अमृत सरोवर दिनांक 24 अप्रैल को शुरू किया गया।

’जनभागीदारी’ मिशन अमृत सरोवर के केन्द्र में

मिशन अमृत सरोवर एक सम्पूर्ण सरकार के दृष्टिकोण पर आधारित मिशन है, जिसमें भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा तकनीकी सहयोग के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं। ‘जनभागीदारी’ मिशन अमृत सरोवर के केन्द्र में स्थित है। इसलिए इसमें सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी को शामिल किया गया है।

क्या है इस मिशन की उपयोगिता ?

ध्यान देने योग्य है कि बीते कुछ साल में विश्व के ज्यादातर हिस्सों में गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में बढ़ती हुई गर्मी पानी बचाने की हमारी जिम्मेदारी को उतना ही बढ़ा रही है। हो सकता है कि आप अभी जहां हैं वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो, लेकिन आपको उन करोड़ों लोगों को भी हमेशा याद रखना होगा जो जल संकट वाले क्षेत्र में रहते हैं, जिनके लिए पानी की एक-एक बूंद अमृत समान होती है। ऐसे में आज भारत जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है उनमें ‘जल संरक्षण’ भी एक है। कहते हैं कि पानी की उपलब्धता और पानी की किल्लत किसी भी देश की प्रगति और गति को निर्धारित करते हैं। पृथ्वी पर जल के बिना जीने की कल्पना तक नहीं की जा सकती। जल केवल मानव जाति के लिए ही नहीं बल्कि जीव-जन्तुओं और पेड़ पौधों के लिए भी आवश्यक है। समस्त जीव जगत का आधार ही जल है। इसलिए कहा भी गया है कि ‘जल ही जीवन है।’

राज्यों में बन रहे जल संरचना उपयोगकर्ता संघ

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से सभी अमृत सरोवर को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करना सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। अच्छी बात यह है कि राज्य भी इसमें बढ़ चढ़कर अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस कार्य को बेहतर ढंग से करने के लिए केंद्र सरकार ने इसके अमल के हर चरण में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर खास जोर दिया है। इसके अलावा राज्यों को जल संरचना उपयोगकर्ता संघ बनाने और बेहतर विकास के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया है। इस दिशा में भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। केंद्र द्वारा इसके लिए राज्यों की तकनीकी और अन्य चिंताओं का समाधान किया गया है। कुल मिलाकर, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने मिशन को लेकर बहुत सकारात्मक कार्य किए हैं। तभी आज भारत इस मिशन की करीब आधी यात्रा तय कर चुका है। अब आगामी स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त 2023 तक भारत को इस 50 हजार अमृत सरोवर तैयार कर इस लक्ष्य को हासिल करना है।

उल्लेखनीय है कि भू-जल एक अति महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। यह सम्पूर्ण मानव जाति को प्रकृति की ओर से दिया गया एक नि:शुल्क उपहार है। यदि हम जल ग्रहण करना बंद कर दें तो हमारे शरीर के अंदर चलने वाली समस्त जैव रासायनिक प्रक्रियाएं जल के अभाव में पूर्णरूप से रुक जाएंगी। प्राचीन काल में किसी ने नहीं सोचा होगा कि पानी एक दिन बोतलों में बिकेगा। आज के युग की यही वास्तविकता है और यह सब हुआ है पृथ्वी पर जल की कमी और बढ़ती मांग के कारण। आज जल की कमी देशों और महाद्वीपों के दायरे को तोड़कर विश्व व्यापी समस्या बन चुकी है।

दो-तिहाई भाग पानी से घिरा फिर भी धरती प्यासी

धरातल का दो-तिहाई भाग पानी से घिरा है, लेकिन इसका दो से तीन प्रतिशत ही इस्तेमाल के लायक है। आज भारत सहित विश्व के अनेक देश जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय भारत में विश्व की करीब 17% आबादी निवास करती है। यद्यपि यहां इसके मुकाबले जल बेहद कम है। वर्तमान में भू-जल संसाधनों का उपयोग पीने, सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, लेकिन जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, शहरीकरण, औद्योगीकरण और कृषि गतिविधियों के कारण भू-जल संसाधन पर दबाव बढ़ गया हैं। इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए भारत सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। अब देश के युवाओं को इस अभियान में सहयोग करना होगा। ऐसे में देश की युवा शक्ति को इस अभियान के बारे में जानना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए।

अमृत सरोवर से भू-जल बढ़ाने में मिलेगी मदद

देश में यदि प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होगा तो भू-जल बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी। ऐसे में कल्पना कर सकते हैं कि पीएम मोदी द्वारा लिया गया यह संकल्प पूरा होता है तो पूरे देश में जल संकट की बड़ी समस्या का समाधान होगा और हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी सुरक्षित हो जाएगा। वहीं देश में सूखा ग्रस्त इलाकों की पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। बुंदेलखंड जैसे इलाकों में कैंसर की तरह फैले पानी के संकट को समाप्त किया जा सकेगा। आगामी दिनों में इसका लाभ छोटे किसानों, महिलाओं और यहां तक कि पक्षियों और जानवरों के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होगा।

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