
करतारपुर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के कार्यकारी अधिकारी और एवैक्यू ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड के सेक्रेटरी राणा शाहिद (Rana Shahid) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप लगने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया है. सरकार ने उनकी जगह यह जिम्मेदारी ईटीपीबी सचिव एडमिन सनाउल्लाह खान को दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व अधिकारी राणा शाहिद ने साइमा नाम की लड़की को पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के रूप में 1,14,000 रुपये की सैलरी पर भर्ती किया था, लेकिन उसे केवल एक दिन की ही सैलरी मिली.
युवती सुक्कुर की रहने वाली थी और पूर्व सीईओ ने उसकी सैलरी के लिए बैंक से लाखों रुपए निकाले. रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व सीईओ ने इस मुद्दे पर आवाज उठाने वाले 15 कर्मचारियों को बर्खास्त भी कर दिया था. इसके अनुसार, सिख तीर्थयात्रियों द्वारा दिए गए चंदे और कैश के इस्तेमाल को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में भी पूर्व अधिकारी की जांच की जा रही थी.
इससे पहले पाकिस्तान के नारोवल शहर में स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के ऐतिहासिक कुंए के पवित्र जल को बेचने का मामला गहराया था. इसको लेकर काफी विवाद हुआ था. इसके बाद राणा शाहिद ने कुएं के पानी के बेचने पर रोक लगा दी थी और इसको लेकर एक चेतावनी का बोर्ड भी लगवा दिया था.
भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के जा सकते हैं दरबार साहिब
बता दें कि करतारपुर गलियारा पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत में पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है. दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपना अंतिम समय बिताया था. चार किलोमीटर लंबे गलियारे के माध्यम से भारतीय सिख श्रद्धालु बिना वीजा के दरबार साहिब जा सकते हैं.
सिखों के लिए इसका ऐतिहासिक महत्व
ब्रिटिश सिख सैनिक लाहौर भी गए थे जहां वे बाघा सरहद पर झंडा उतारने के समारोह के गवाह बने. वे लाहौर के किले, अल्लामा इकबाल के मकबरे और बादशाही मस्जिद भी गए थे. यह स्मारक उस स्थान को चिन्हित करता है, जहां 21 सिख सैनिकों ने 1897 में स्थानीय कबायली बागियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी. सिखों के लिए इसका बहुत ऐतिहासिक महत्व है.