
आपने कहावत सुनी होगी. सांप को कितना भी दूध पिलाओ वो डसना नहीं छोडता. वही हाल पाकिस्तान का है. पाकिस्तान भले ही इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर खुद को पाक साफ बताने की कोशिश करे, लेकिन आतंक के साथ उसका रिश्ता बार बार एक्सपोज हो जाता है. ये क्लियर हो जाता है कि पाकिस्तान ही आतंक का केंद्र बिंदु है. बड़ा एपिसेंटर है. कल भी ऐसा ही हुआ था. पाकिस्तान के दो आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस की बस पर हमला कर दिया. इस हमले में तीन जवान शहीद हो गए, लेकिन पुलिस ने जब सुराग इकट्ठा किए. जांच की तो सबकुछ शीशे की तरह साफ हो गया, जो बातें की जा रही थी कि ये कश्मीर टाइगर्स नाम के आतंकी संगठन का काम है. वो असल में कोई और नहीं जैश ए मोहम्मद के मौलाना मसूद अजहर के पाले हुए आतंकवादी थे, दहशतगर्द थे..
बात सिर्फ इतनी नहीं है, पता तो ये भी चला है कि जिस वक्त जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, उनका मुकाबला कर रहे एक दहशतगर्द के पांव में गोली लगी. उसे लहूलुहान कर दिया, लेकिन इसी दौरान उसके दो साथियों ने अंधेरे का फायदा उठाकर उसे अपने साथ लिया और फिर ये तीनों मौके से फरार हो गए. पुलिस ने आतंकी की ब्लड ट्रेल से उनकी लोकेशन ट्रेस कर ली है. किसी भी वक्त आतंकियों को दो गज जमीन में पहुंचाने की खबर आ सकती है.
लेकिन, सवाल है कि आखिर ये पूरा इलाका था कैसा? आखिर कैसे ये दहशतगर्द मौके से फरार होने में कामयाब हो गए, क्या इनकी मदद के लिए कोई पहले से मौजूद था, तो इन सवालों का पता लगाने के लिए दिल्ली से हमारे रिपोर्टर सुमित चौधरी और श्रीनगर में मौजूद इरफान कुरैशी ने बड़ी पडताल की. हमारे संवाददाता ने बताया कि पंथा चौक शहर का बाहरी इलाका है और जब यहां से श्रीनगर की तरफ एंटर करते हैं तो रास्ता काफी संकरा है. रोड की चौड़ाई कम है और आसपास कई ऐसे रूट्स हैं जिनसे आसानी से जंगलों की तरफ निकला जा सकता है इसीलिए आतंकियों मौके से फरार हो सके.
आतंकियों ने श्रीनगर के बटमालू इलाके में मो शफी डार नाम के शख्स को टारगेट किया
हमारी पड़ताल के दौरान पाकिस्तान की कुछ और साजिशों का खुलासा हुआ. पता चला कि पाकिस्तान से आए दहशतगर्दों ने इस बार अटैक करने के तरीके में बदलाव किया था. पहले सिक्योरिटी फोर्सेस के काफिले को IED के उड़ाने की साजिश होती थी. विस्फोटक वाले सुसाइड आतंकी तैयार किए जाते थे, लेकिन इस बार स्टील कोटेड वाली बुलेट्स से हमला किया गया.
अगर पिछले दिनों कश्मीर में हुई आतंकी वारदातों का ट्रेंड नोट करेंगे, तो पता चलेगा कि आतंकवादी अब कश्मीर के लोगों को टारगेट कर रहे हैं. वो बेगुनाह कश्मीर लोगों का खून बहा रहे हैं. दो अक्टूबर को आतंकियों ने श्रीनगर के बटमालू इलाके में मो शफी डार नाम के शख्स को टारगेट किया. 5 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने तीन अलग-अलग वारदातों में तीन लोगों की हत्या कर दी. इनमें श्रीनगर के मशहूर केमिस्ट मक्खन लाल बिंद्रू भी शामिल थे. इसी तरह 7, अक्टूबर को आतंकवादियों ने श्रीनगर में स्कूल में घुसकर फायरिंग की, प्रिंसिपल समेत टीचर को मार डाला.
अब ढूंढ ढूंढकर एंकाउंटर करने की तैयारी
आठ नवंबर को एक श्रीनगर के ओल्ट सिटी इलाके में एक मुस्लिम सेल्समेन को गोली मार दी. 15 नवंबर को श्रीनगर के ईदगाह इलाके में ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक पुलिसवाला और सिविलियन घायल हो गया. हमारे रिपोर्टर सुमित चौधरी ने ये भी बताया कि इस वक्त कश्मीर घाटी में क़रीब 38 पाकिस्तान के आतंकियों ऐक्टिव हैं उसमें 27 लश्कर के और 11 जैश के आतंकी है. इनमें भी 4 आतंकी श्रीनगर, 3 कुलगाम, 10 पुलवामा, 10 बारामूला में और 11 आतंकी कश्मीर के अलग अलग इलाकों में छुपे हो सकते हैं.
जिन्हें अब ढूंढ ढूंढकर एंकाउंटर करने की तैयारी है. इसीलिए हम आतंक को रक्तबीज कह रहे हैं क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्तबीज एक ऐसा दानव था, जिसके खून की हर बूंद से उसके ही जैसा दानव पैदा हो जाता था. कुछ उसी तरह आतंकियों के नए-नए संगठन बन रहे हैं, लेकिन ये भी तय है कि रक्तबीज की तरह इनका खात्मा भी होगा और पाकिस्तान से भी इस छद्म युद्ध का हिसाब होगा.
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