
उत्तर प्रदेश महोबा जिले का नाम आल्हा और उदल के लिए जाना जाता है. महोबा जिला बनने से पहले यह हमीरपुर जिले की एक तहसील हुआ करती थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 1995 में महोबा को अलग जिला बना दिया. महोबा जिले में दो विधानसभा सीटें हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. महोबा में अब आय का साधन एकमात्र कृषि ही बचा है. बिजली, पानी और चिकित्सा सेवा आज भी इस सीट के लिए चुनावी मुद्दे हैं.
सीट का इतिहास
उत्तर प्रदेश के महोबा विधानसभा सीट (Mahoba Assembly Seat) लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है. वहीं मोदी लहर के चलते 2017 में जिले की दोनों ही सीटों पर कमल खिल गया. इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी राकेश गोस्वामी समाजवादी पार्टी के सिद्ध गोपाल साहू को 31387 मतों से पराजित किया. बसपा के अरिमर्दन सिंह तीसरे स्थान पर रहे. बता दें भाजपा के मौजूदा विधायक राकेश गोस्वामी 2017 में इस सीट से जीत चुके हैं. 2012 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने दूसरी बार जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में बसपा ने राजनारायण बुधौलिया को मैदान में उतारा. उन्होंने समाजवादी पार्टी के सिद्ध गोपाल साहू को हरा दिया. 2002 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी सिद्ध गोपाल साहू ने बसपा के चंद्र नारायण सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी.
महोबा सीट (Mahoba Assembly Seat) पर बीजेपी के प्रत्याशी छोटे लाल मिश्रा ने 1991 में दर्ज की थी, जिसके बाद भाजपा इस सीट पर कोई जीत नहीं दर्ज सकी. अब 2017 में भाजपा ने इस सीट (Mahoba Assembly Seat) पर जीत दर्ज करके 25 साल का बनवास खत्म किया है. वहीं बुंदेलखंड की सभी सीटों पर भाजपा ने 2022 में जीत की रणनीति तैयार की है.
जातिय समीकरण
इस सीट (Mahoba Assembly Seat) पर सबसे ज्यादा राजपूत मतदाता है. वहीं ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है.
कुल मतदाता – 279595
पुरुष मतदाता – 154857
महिला मतदाता – 124738
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