
इस समय किसान सरसों की खेती में लगे हैं. प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में ज्यादातर किसानों ने सरसों की बुवाई कर ली है, लेकिन कुछ हिस्सों में अभी भी सरसों की खेती का काम चल रहा है. अक्टूबर माह के शुरुआत में हुई बारिश की वजह से भी इस तिलहनी फसल की बुवाई में देरी हुई है. लेकिन मौसम सरसों की बुवाई के लिए अभी अनुकूल बना हुआ है.
दिल्ली स्थित आईएआरआई में कृषि विज्ञान विभाग के प्रधान वैज्ञानिक संजय सिंह राठौर डीडी किसान से बातचीत में बताते हैं कि सरसों की बुवाई समय पर होनी चाहिए. तापमान, आर्दता और जलवायु अच्छी रहे तो अंकुरण अच्छा होता है और फसल अच्छी आती है. वैसे तो सरसों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर को माना जाता है. लेकिन बारिश के कारण कई इलाकों में देरी हुई है.
सरसों की बुवाई के लिए इन बातों का रखें ध्यान
संजय सिंह राठौर बताते हैं कि अभी भी सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है और मौसम अनुकूल है. ऐसे में इस वक्त बुवाई करने के लिए किसान खेत को बढ़िया से तैयार कर लें. जुताई के वक्त गोबर की सड़ी खाद मिलाने से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं. खेत की तैयारी के बाद किसान भाई करीब 4 से 5 किलो बीज की मात्रा को 45 सेंटी मीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी में सीड ड्रिल की माध्यम से बुवाई कर सकते हैं.
आईएआरआई के कृषि विज्ञान विभाग के प्रधान वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि किसान बुवाई से पहले बीज उपचार जरूर कर लें. यह बहुत आवश्यक होता है. बीज उपचार के लिए कवकनाशी का इस्तेमाल कर सकते हैं. बुवाई के वक्त खेत में डीएपी अवश्य डालें. मिट्टी में डीएपी देना फसल के लिए काफी लाभकारी होता है.
कीट प्रबंधन के लिए जरूरी बातें
बुवाई के बाद सरसों की फसल में आधा बोरा यूरिया देकर पहली सिंचाई का कार्य शुरू कर सकते हैं. इसके बाद कीट प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान देना होता है. अगर फसल में सुंडियां लग जाएं तो पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर देने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा 700 मिली लीटर एंडोसल्फान 37 ईसी को 200 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
अगर फसल पर चितकबरा कीड़ें लग गए हैं तो उनकी रोकथाम के लिए 200 मिली लीटर मैलाथियान 70 ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर पूरी फसल पर छिड़क दें. इन सभी उपायों को अलावा किसान भाई समसामयिक कार्यों के साथ समय-समय पर फसल की निगरानी भी करते रहें.
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