
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि बच्चों एवं युवा पीढ़ी को देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने कहा,‘‘ इतिहास की जानकारी के बिना हम नया इतिहास नहीं बना सकते. हमारी भावी पीढ़ी इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराए, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें देश की संस्कृति, महापुरूषों के आदर्शों, संघर्ष, त्याग, बलिदान एवं समर्पण की जानकारी हो.’’
वह रविवार को राज्य स्तरीय बाल अधिकार सप्ताह के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे. गहलोत ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं, इसलिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ एक संस्कारवान पीढ़ी तैयार करना सरकार के साथ-साथ समाज की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा,‘‘मुझे युवावस्था में ही वर्धा स्थित गांधी सेवा ग्राम आश्रम में प्रशिक्षण लेने का सुअवसर मिला. वहां से प्राप्त संस्कार आज तक मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं.’’
स्वतंत्रता सेनानियों से लें प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू, संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद जैसे महान नेताओं ने देश की आजादी तथा आधुनिक भारत के निर्माण के लिए अथक संघर्ष किया, इसलिए बच्चों और युवाओं को उनके योगदान से प्रेरणा लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बच्चों और युवाओं में नैतिक मूल्यों तथा गांधीवादी जीवन दर्शन के प्रसार के लिए शांति एवं अहिंसा निदेशालय की स्थापना की है. उन्होंने कहा कि मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज तथा पुणे स्थित महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गवर्नेंस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की तर्ज पर जयपुर में महात्मा गांधी दर्शन म्यूजियम एवं महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एवं सोशल साइंसेज की स्थापना की गई है.
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल, मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने भी कार्यक्रम को संबोंधित किया.
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