
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक डॉक्टर ने गुरुवार को कहा कि भारत अभी बूस्टर शॉट्स (Booster Shots) देने का जोखिम नहीं उठा सकता है क्योंकि केवल लगभग 35 प्रतिशत आबादी को कोविड -19 बीमारी (कोरोना वायरस) के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया गया है. न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर और डॉक्टर ने तर्क दिया कि वैक्सीन के दोनों शॉट लेने वालों को बूस्टर खुराक देने के बजाय शेष आबादी को प्राथमिकता के साथ पूरी तरीके से वैक्सीनेट करने की जरूरत है.
डॉ एमवी पद्म श्रीवास्तव ने कहा, हमारी लगभग 35 फीसदी आबादी पूरी तरह से वैक्सीनेट है. एक बड़े हिस्से को अभी भी पूरी तरह से टीका लगाने की जरूरत है. ऐसे में हमें ये सोचने की जरूरत है कि क्या हम वैक्सीन का बूस्टर शॉट उसे दें जिसने दोनों खुराक ली हैं या उसे दें जिसने सिर्फ एक डोज ली है.
‘थिंक टैंक लेंगे सही निर्णय’
डॉक्टर ने कहा, हालांकि, बूस्टर शॉट के बारे में सवाल नैतिक है और इस पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि थिंक-टैंक सही निर्णय लेंगे.” उन्होंने आगे कहा, ”ऐसे लोगों का एक सबसेक्शन है जो प्रतिरक्षित हैं. टीकों के बाद भी, इन लोगों में एंटीबॉडी नहीं बन रही है. उन्हें 6 महीने से पहले भी बूस्टर खुराक दी गई है. इसलिए वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि कम से कम कुछ प्रतिरक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी. SAGE इसे देख रहा है और निर्देश के साथ सामने आएगा.”
भारत बायोटेक के अध्यक्ष ने क्या कहा?
इससे पहले दिन में, भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, डॉ कृष्णा एला ने कहा था कि अगर वायरस म्यूटेट होता है तो लोगों को कोविड -19 वैक्सीन की बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी.
यह भी पढ़ें: कोरोना का खतरा बरकरार! ‘अभी भी डेल्टा वेरिएंट बना हुआ है चिंता का मुख्य कारण’, INSACOG ने किया आगाह