
कानपुर की महाराजपुर विधानसभा सीट (Maharajpur Assembly) का गठन 2012 के नए परिसीमन के बाद हुआ था. इससे पहले यह विधानसभा सीट सरसौल के नाम से जानी जाती थी. सीट के गठन के बाद से भाजपा के सतीश महाना ने पिछले दोनों चुनावों में जीत दर्ज की है. यह ऐसी सीट है, जहां पिछले 2017 के चुनावों में सपा के प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई. यहां टिकट के लिए सपा में कलह शुरू हुई जो आज भी जारी है. जानिए क्या है इस सीट का समीकरण…
सीट का इतिहास
कानपुर की महाराजपुर सीट (Maharajpur Assembly) 2012 में अस्तित्व आई. नए परिसीमन के पहले यह सीट सरसौल के नाम से जानी जाती थी. परिसीमन से पहले सरसौल में भाजपा जीत के लिए तमाम कोशिशें करती रही और उसे सफलता नहीं मिली. 1991 की राम लहर में भी भाजपा का इस सीट पर खाता नहीं खुल सका. 1991 में सीट पर जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1993 में सपा के जगराम सिंह ने यहां जीत दर्ज कर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन 1996 में यह सीट बसपा ने जीती. 2002 में सपा की अरुणा तोमर ने बसपा के उम्मीदवार को हराया और वह 2007 में भी विधायक बनीं. दो बार की विधायक अरुणा तोमर का परिसीमन के बाद गणित बिगड़ गया. जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2012 के आंकड़े
2012 में पहली बार महाराजपुर की नई विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ जिसमें भाजपा के सतीश महाना को 83,144 वोट मिले. जबकि बहुजन समाज पार्टी की शिखा मिश्रा को 53,255 मत मिले, वो दूसरे स्थान पर रहीं. सपा प्रत्याशी अरुणा तोमर को तीसरा स्थान मिला.
2017 के आंकड़े
वहीं 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के सतीश महाना ने फिर जीत दर्ज की. उन्हें चुनाव में 1,32,394 यानी 55 फ़ीसदी वोट मिले, जबकि दूसरे स्थान पर रही बसपा प्रत्याशी मनोज कुमार शुक्ला को 40,568 मत मिले. इस चुनाव में सपा प्रत्याशी अरुणा तोमर को जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया.
जातिगत समीकरण
कानपुर जनपद की महाराजपुर विधानसभा सीट पर ओबीसी और जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक हैं. जिसकी वजह से यहांबीजेपी की मजबूत पकड़ है. पिछले दो चुनावो से बीजेपी में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना विधायक हैं. सतीश महाना ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में कमल खिलाया था.
कुल मतदाता – 4,28,521
पुरुष मतदाता – 2,37,219
महिला मतदाता – 1,91,275
अन्य मतदाता – 27
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