
प्रदेश में रबी सीजन के दौरान खाद की उपलब्धता (Fertilizer Availability) विशेषकर डीएपी (DAP) खाद को मद्देनजर रखते हुए जिलों में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारियों एवं खाद निरीक्षकों को सख्त हिदायतें जारी की गई हैं. कहा गया है कि वे सभी खाद विक्रेताओं के गोदामों का लगातार निरीक्षण करते रहें और कहीं पर भी खाद वितरण, भंडारण एवं बिक्री प्रक्रिया में कोई खामी पाई जाती है तो उस पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करें.
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि निरंतर निगरानी के दौरान खाद विक्रेताओं के गोदामों में वितरण एवं भंडारण में खामियां पाई जाती हैं तो उनके लाइसेंस सस्पैंड किए जाने संबधित कार्रवाई भी अमल में लाएं. संबंधित खाद निरीक्षक उसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय भेजें. किसानों (Farmers) के लिए जिलों में खाद की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी.
खाद का स्टॉक न करें
खाद की उपलब्धता के बारे में सभी खाद निरीक्षकों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में भी पैनी नजर रखने बारे हिदायतें जारी कर दी गई हैं. डीएपी खाद की उपलब्धता को देखते हुए किसान थोड़ा धैर्य बनाए रखें और खाद का स्टॉक न करें. आवश्यकता अनुसार ही खाद की खरीद करें.
नवंबर में उपलब्ध होगी पूरी खाद
खाद की उपलब्धता बारे विभागीय स्तर पर रबी सीजन के दौरान बिजाई की जाने वाली फसलों के अनुरूप मांग कर ली गई है. नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में डीएपी खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध होगी. सरकार द्वारा हर जिले में डीएपी खाद के रैक अलॉट कर दिए गए हैं, जिनकी सप्लाई किसानों की सुविधा को देखते हुए सीधे जिलों में स्थित सभी कृषि विभाग एवं को-ऑपरेटिव सोसाइटियों में कर दी जाएगी, ताकि किसानों को खाद लेने में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो.
कैसे हैं हालात
दिल्ली से सटे हरियाणा में डीएपी को लेकर हालात बद से बदतर हो गए हैं. लोगों ने खाद की ऐसी किल्लत कभी नहीं देखी कि किसानों को दो दिन लाइन में लगने के बाद एक बोरी डीएपी मिल रही हो. सरकार के लचर रवैये और कुप्रबंधन की वजह से किसानों को इतनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरसों (Mustard) और गेहूं (Wheat) की अगेती बुवाई का वक्त निकल गया और सरकार कागजों में बयान दे रही है कि सबकुछ ठीक है. हरियाणा में खाद की किल्लत को लेकर ऐसे हालात तब हैं जब किसान आंदोलन (Farmers Protest) चल रहा है.
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