
तेलंगाना के कोठागुडेम जिले के अंबेडकर नगर में शुक्रवार को उस समय तनाव फैल गया जब वन अधिकारियों ने इलाके में महिला काश्तकारों पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया.आरोप है कि हमले में तीन महिलाएं घायल हो गईं, जिसके बाद उन्हें तुरंत एम्बुलेंस से जिला सरकारी अस्पताल ले जाया गया. उप वन परिक्षेत्र अधिकारी बी रामकृष्ण के अनुसार वन विभाग पिछले एक साल से पौधरोपण कर रहा है लेकिन ये काश्तकार वहां की जमीन की जुताई कर उसे नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं. किसानों/ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच कहासुनी हुई जिसमें तीन महिलाएं कुल्हाड़ियों से घायल हो गईं.
विभाग ने शिकायत दर्ज कर ली है और जल्द ही किसानों से बातचीत की जाएगी. हालांकि वन विभाग के अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि महिलाओं पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया है.हालांकि, संबंधित वन अधिकारियों ने भूमि पर उनके दावों को खारिज कर दिया, और वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया. राज्य में पोडु भूमि को लेकर आदिवासियों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति लंबे समय से बनी हुई है.
क्या थी विवाद की वजह
इसी साल मार्च के महीने में तेलंगाना की जनजातीय कल्याण मंत्री सत्यवती राठोड ने विधानसभा में बताया था कि एफ़आरए, 2006 के लागू होने के बाद से दायर 6,31,850 एकड़ ज़मीन के लिए कुल दावों में से 3,03,970 एकड़ ज़मीन पर 94,774 पट्टे दिए गए हैं. 2018 के बाद से किए गए दावों पर मंत्री ने कहा कि 98,745 एकड़ के लिए 27,990 दावे किए गए थे. उनमें से 2,401 दावे योग्य पाए गए और उन्हें पट्टे दिए गए. अब 53,565 एकड़ के लिए 15,613 दावे लंबित हैं. 40,932 एकड़ ज़मीन के लिए बचे 9,976 दावों को ज़िला स्तर की समितियों ने खारिज कर दिया था.
वन अधिकारियों का कहना है कि कुछ जगहों पर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, और एफ़आरए द्वारा निर्धारित 13 दिसंबर, 2005 की कट-ऑफ डेट के बाद भी आदिवासियों द्वारा यहां खेती की जाती रही है. आधिकारी मानते हैं कि आदिवासियों ने ऐसा इस उम्मीद में किया कि इस भूमि के लिए भी पट्टे मिल जाएंगे. दूसरी तरफ़ आदिवासियों का कहना है कि वन अधिकारियों ने पोडु भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है जिस पर वे 40 साल से ज़्यादा से खेती कर रहे हैं. उन्होंने शिकायत की है कि हरिता हरम के तहत वन अधिकारी इन ज़मीनों पर पेड़ लगा रहे थे.
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