
पंजाब कांग्रेस में मंगलवार को उस समय तूफान खड़ा हो गया जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद एक-एक कर चार अन्य नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया. इस बीच पार्टी के नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि अभी तक सिद्धू का इस्तीफा कांग्रेस प्रमुख ने स्वीकार नहीं किया है. वहीं, कांग्रेस के विधायक परगट सिंह परगट सिंह और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने सिद्धू से मुलाकात की. परगट सिंह ने मुलाकात के बाद कहा कि एक दो मुद्दे हैं, बात हो गई है. कई बार गलतफहमी हो जाती है, हम उन्हें हल कर लेंगे.
कांग्रेस विधायक बावा हेनरी ने कहा, ‘नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा (पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में) स्वीकार नहीं किया गया है, जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा. 3-4 मुद्दे हैं, पार्टी फोरम में उनकी चर्चा हो रही है, आलाकमान उनका समाधान करेगा.’ वारिंग कहते हैं, कुछ छोटे मुद्दे हैं, जो कुछ गलतफहमियों से उत्पन्न हुए हैं और कल हल किए जाएंगे.’ कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा, ‘हम नवजोत सिंह सिद्धू से अनुरोध करेंगे कि वो अपना इस्तीफ़ा वापस लें. इसके साथ ही हम पार्टी हाईकमान से उम्मीद करते हैं कि एक अच्छा नेता हमें पंजाब में मिला है, आप इनकी शिकायतों का निवारण करें.’
पंजाब में बुधवार सुबह कैबिनेट की बैठक
नवजोत सिंह सिद्धू के घर पर उनके खेमे के नेताओं का जमावड़ा लगा था. बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह 10.30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है. बताया जा रहा है कि कुछ कांग्रेस विधायक सिद्धू को मनाने में लगे हुए हैं. सिद्धू ने सिद्धू ने इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा,’किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं. इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं. कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा.’
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू करीब पांच साल पहले जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे तो उन्होंने खुद को अपनी जड़ों की ओर लौटने वाला ‘जन्मजात कांग्रेसी’ बताया था और आज उन्होंने पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है. सिद्धू को 18 जुलाई को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी और उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद के घटनाक्रम के दौरान राज्य में पार्टी के कद्दावर नेता अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ गया.
अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच गहरा गया था तनाव
नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा राज्य की कमान संभालने के कुछ ही दिन बाद और राज्य सरकार के नए मंत्रिमंडल के सदस्यों को विभाग सौंपे जाने के दिन 57 वर्षीय सिद्धू ने अचानक से पार्टी की प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी छोड़कर सभी को चौंका दिया. उन्होंने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब राज्य में विधानसभा चुनाव में पांच महीने से भी कम समय बचा है. साढ़े चार साल में सिद्धू और पार्टी नेता अमरिंदर सिंह के बीच तनाव इतना गहरा गया कि 79 साल के सिंह को मुख्यमंत्री पद तक छोड़ना पड़ गया. अमरिंदर ने पिछले दिनों पद छोड़ने के बाद कहा कि जिस तरह से पार्टी इस संकट से निपटी है, उससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं.
सिद्धू को अमरिंदर सिंह के कड़े विरोध के बावजूद जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई का नया प्रमुख बनाया गया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सिद्धू की ताजपोशी के साथ आला कमान ने स्पष्ट संकेत दिया कि वह उनके पीछे खड़ा है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा के समर्थन से सिद्धू को अमरिंदर के विरोध के बावजूद पद संभालने में कठिनाई नहीं आई. सिद्धू की एक समारोह में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलने की तस्वीरें आने के बाद चहुंओर काफी आलोचना हुई थी.
(भाषा इनपुट के साथ)
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