
तहरीक ए हुर्रियत (Tehreek-e-Hurriyat) के नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का निधन हो गया है. वह 92 साल के थे. उन्होंने बुधवार को श्रीनगर स्थित अपने आवापस पर रात 10.30 बजे आखिरी सांस ली. जानकारी के मुताबिक गिलानी पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वह अपने हैदरपोरा स्थित आवास पर नजरबंद थे. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उनके निधन पर शोक जताया है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं. हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सके लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करता हूं. अल्लाह ताला उन्हें जन्नत और उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना प्रदान करें.”
Saddened by the news of Geelani sahab’s passing away. We may not have agreed on most things but I respect him for his steadfastness & standing by his beliefs. May Allah Ta’aala grant him jannat & condolences to his family & well wishers.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 1, 2021
सैयद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को हुआ था. वे जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता थे. पहले वह जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे, हालांकि बाद में उन्होंने तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की. पिछले साल यानी 2020 में उन्होंने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) के अध्यक्ष के अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफे की घोषणा की थी.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 1993 में हुआ था, जिसमें कुछ पाकिस्तान समर्थक और जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) और दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे प्रतिबंधित संगठनों समेत 26 समूह शामिल हुए. इसमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल हुई. यह अलगाववादी समूह 2005 में दो गुटों में टूट गया. नरमपंथी गुट का नेतृत्व मीरवाइज और कट्टरपंथी गुट का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी के हाथों में है. केंद्र जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ को यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर चुका है. यह प्रतिबंध 2019 में लगाया गया था.
कई बार उड़ी निधन की अफवाह
सैयद अली शाह गिलानी ने जम्मू-कश्मीर के समर्थक दलों के समूह, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में काम किया. वह 1972, 1977 औऱ 1987 में सोपोर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक भी थे. पिछले कई सालों से स्वास्थ्य खराब होने के चलते वह कम सक्रिय थे. इस दौरान कई बार उनकी निधन की अफवाहें भी उड़ी. सैयद अली शाह का एक लंबी बीमारी के बाद बुधवार को निधन हो गया. उनका परिवार चाहता है कि उन्हें हैदरपोरा में ही दफनाया जाए. हालांकि अभी ये तय नहीं हुआ है कि उन्हें कहां दफनाया जाएगा.