
भारत समेत पूरी दुनिया में अफगानिस्तान (Afghanistan) की फिक्र बड़ी होती जा रही है, क्योंकि 22 दिन बीतने को हैं और अभी तक वहां तालिबान सरकार का गठन नहीं हो पाया है. इस बीच अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने लिमिट क्रॉस कर दी है. पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमान और फाइटर ड्रोन ने पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) में बेतहाशा बम बरसाए हैं, जिस पर ईरान ने कड़ा ऐतराज जताया है और पाकिस्तान के इस एक्शन के बाद तालिबान ने पंजशीर पर कब्जे का दावा किया है. अफगानिस्तान के इस हालात को लेकर भारत में आज प्रधानमंत्री मोदी ने हाईलेवल मीटिंग की. प्रधानमंत्री आवास पर करीब तीन घंटे चली इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे. इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सीडीएस बिपिन रावत भी शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर विस्तार से चर्चा हुई.
उधर पंजशीर की जंग को लेकर अभी से थोड़ी देर पहले नॉर्दर्न अलायंस ने बड़ा दावा किया. रेजिस्टेंस फोर्स ने बताया कि पंजशीर में पाकिस्तान के फाइटर जेट को मार गिराया गया है. मतलब पाकिस्तान के जिस फाइटर जेट ने पंजशीर में बम बरसाए, उसे घाटी में ही खत्म कर दिया गया. बहरहाल तालिबान ने दावा किया है कि बहुत जल्द अफगानिस्तान में नई सरकार का गठन होगा और नई सरकार की घोषणा में शामिल होने के लिए तालिबान ने चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान, तुर्की और कतर को आमंत्रित किया है, लेकिन यहां सबसे बड़ी फिक्र पाकिस्तान को लेकर को है क्योंकि अफगानिस्तान में पाकिस्तान का दखल बढ़ता ही जा रहा है.
तेहरान टाइम्स ने जारी किया पाकिस्तानी फाइटर जेट का वीडियो
अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में गरजते पाकिस्तानी फाइटर जेट का वीडियो तेहरान टाइम्स ने जारी किया और दावा किया कि पाकिस्तान के फाइटर जेट ने पंजशीर में बम बरसाए. बताया जाता है कि रविवार को पाकिस्तानी पायलट्स लाव-लश्कर के साथ तालिबान की मदद करने पहुंचे. पूरी रात फाइटर जेट और ड्रोन के जरिए रेजिस्टेंस फोर्सेज के ठिकानों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए. पंजशीर में रेजिस्टेंस फोर्स के प्रमुख नेता और अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस पर भी पाकिस्तानी ड्रोन से हमला हुआ जिसके बाद सालेह ताजिकिस्तान भाग गए.
पाकिस्तान के CH-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक गाड़ी पर भी दो मिसाइलें दागीं, इसमें रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच लड़ाकों की मौत हो गई. रविवार को हमलों में अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी की भी मौत हो गई. बताया जाता है कि पंजशीर में पाकिस्तान की एंट्री के कुछ ही घंटे बाद ही रेजिस्टेंस फोर्स ने हार मान ली. इसके साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया. तालिबान ने आज इसका दावा भी किया और पंजशीर की राजधानी का वीडियो भी जारी किया, जिसमें तालिबानी लड़ाके गवर्नर हाउस पर झंडा फहराते दिख रहे हैं. गवर्नर हाउस के अंदर तोड़फोड़ करते दिख रहे हैं और वहां की सड़कों पर तालिबान सरकार के बैनर भी दिखने लगे हैं.
इस बीच तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर ये दावा किया कि अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध का आखिरी किला भी फतह कर लिया गया है. साथ ही कहा कि आखिरकार देश जंग के भंवर से बाहर आ गया है, अल्लाह की अता से और देश के लोगों के समर्थन से देश को सुरक्षित करने की हमारी कोशिशें रंग लाई हैं. लेकिन तालिबान के इस दावे को रेजिस्टेंस फोर्स ने गलत बताया है और कहा है कि पंजशीर घाटी में जंग जारी रहेगी. रेजिस्टेंस फोर्स के लीडर अहमद मसूद ने करीब 18 मिनट का ऑडियो संदेश जारी कर पूरी दुनिया से पंजशीर के लिए मदद मांगी. पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ सामान्य विद्रोह शुरू करने को कहा. मसूद ने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी एयरफोर्स का इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया और इसलिए हमारी लड़ाई पाकिस्तान के खिलाफ भी है और आखिरी सांस तक हम लड़ते रहेंगे.
हार मानने को तैयार नहीं रेजिस्टेंस फोर्स के लीडर अहमद मसूद
मतलब मसूद हार मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन तालिबान ने जो तस्वीरें जारी की हैं उसके मुताबिक पंजशीर पर तालिबान का करीब करीब कब्जा हो चुका है और तालिबान ने ये जीत पाकिस्तान के बूते हासिल की है. पाकिस्तान की इस हरकत ने भारत समेत दुनिया के कई देशों की फिक्र बढ़ा दी है. पंजशीर में पाकिस्तानी एयरफोर्स के हमले से नाराज ईरान ने हिदायत दी है कि पाकिस्तान हदों को नहीं लांघे. ईरान ने कहा है कि किसी भी देश का अफगान की जमीन पर हमला करना सरासर गलत है. ईरान इस हमले की जांच कर रहा है. बहरहाल तस्वीरें और अफगानिस्तान से आती रिपोर्ट बता रही हैं कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान का दखल बढ़ता जा रहा है.
और ये फिक्र विश्व बिरादरी में बड़ी होती जा रही है कि क्या वहां सरकार तालिबान की बनेगी तो हुकूमत पाकिस्तान की चलेगी? पंजशीर की जंग में तालिबान के सपोर्ट में उतरे पाकिस्तानी एयक्राफ्ट्स की ये चंद तस्वीरें हैं. बताया जाता है कि अफगान की इस घाटी में पाकिस्तानी वायु सेना ने हथियारों का अंबार लगा दिया. पूरे पंजशीर में बारुदी बौछार कर दी. सूत्र बताते हैं कि इस वक्त पंजशीर में 3,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मौजूद हैं, जिनमें एक हजार पाकिस्तान के एसएसजी कमांडो हैं. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ फैज हमीद अपने साथ एसएसजी के कई कमांडो को लेकर अफगानिस्तान पहुंचा था. आईएसआई चीफ हमीद के कहने पर ही पाकिस्तान एयरफोर्स ने पंजीशर में स्ट्राइक को अंजाम दिया. ये तो हुई पंजशीर में पाकिस्तान के एक्शन की बात. अब आपको बताते हैं कि तालिबान की फाइनल मदद और पंजशीर पर पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक की स्क्रिप्ट कहां लिखी गई?
पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर में 3 सितंबर को पंजशीर को लेकर हुई हाई लेवल मीटिंग
सूत्र बताते हैं कि 3 सितंबर को रावलपिंडी स्थित पाकिस्तान आर्मी हेडक्वार्टर में पंजशीर को लेकर हाई लेवल मीटिंग हुई. इस बैठक में जनरल बाजवा, आईएसआई चीफ फैज हमीद और आर्मी के टॉप कमांडर्स शामिल हुए. इसी मीटिंग में तालिबान को पाकिस्तान आर्मी को सपोर्ट देने का फैसला हुआ और इसी फैसले के बाद आईएसआई चीफ फैज हमीद एसएसजी कमांडो को लेकर अफगानिस्तान पहुंचा. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर अफगानिस्तान में पाकिस्तान इतना दखल क्यों दे रहा है? क्या अफगान में सरकार तालिबान की होगी और हुकूमत पाकिस्तान की होगी? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि बताया जाता है कि तालिबान को अरबों डॉलर की मदद के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई है. तालिबान को हथियार मुहैया कराने के पीछे आईएसआई ही है और अब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार गठन के पीछे भी आईएसआई का ही हाथ है.
और ये तस्वीर इस बात की तस्दीक भी कर रही है, जिसमें आईएसआई चीफ तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर के साथ दिख रहा है और तालिबान सरकार के गठन से पहले ये मीटिंग बहुत कुछ कह रही है. बताया जाता है कि आईएसआई चीफ के साथ पाकिस्तान के कई आर्मी अफसर भी अफगानिस्तान पहुंचे, क्योंकि तालिबान चाहता था कि नई सरकार गठन से पहले पंजशीर फतह हो और इसलिए आईएसआई और पाकिस्तानी आर्मी ने पंजशीर में तालिबान में मदद की. लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान और तालिबान की अंदरखाने एक बिग डील भी बताई जाती है. सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान सरकार में आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को बड़ा रोल मिले. अफगानिस्तान की पूर्व महिला सांसद मरियम सोलेमानखिल ने तो यहां तक दावा किया है कि जनरल फैज हामिद का काबुल आने का मकसद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को नई अफगान सरकार का मुखिया नहीं बनने देना सुनिश्चित करना है और हक्कानी को नई सरकार का मुखिया बनवाना है.
अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में पाकिस्तान ने हर कदम पर दिया तालिबान का साथ
अब तक आपने ये सुना और समझा कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में पाकिस्तान हर कदम पर तालिबान का साथ देता आया है. दरअसल इसकी इनसाइड स्टोरी ये है कि तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ही बनाया था, बाद में भी आईएसआई ने तालिबान को पैसा, ट्रेनिंग और हथियार देना जारी रखा. हक्कानी नेटवर्क से भी आईएसआई के गहरे रिश्ते हैं, जो तालिबान के लिए काम करता है. इसके अलावा पाकिस्तान के तालिबान प्रेम की बात करें तो साल 1996 से 2001 के तालिबान शासन को संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब के अलावा पाकिस्तान ने ही मान्यता दी थी. फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते के बाद फौजों की वापसी का कार्यक्रम तय हुआ तो तालिबान नेताओं ने आईएसआई की मदद से खुद को रीग्रुप किया. कुल मिलाकर आतंकी संगठन कोई भी हो, तालिबान हो या हक्कानी नेटवर्क उसे खाद-पानी पाकिस्तान से ही मिलता है और लॉन्ग टर्म में पाकिस्तान इसका फायदा उठाना चाहता है, जैसा कि अभी अफगानिस्तान में देखा भी जा रहा है.
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनाने के लिए पाकिस्तान ने पूरी ताकत झोंक दी है. अफगानिस्तान में मजहब के नाम पर आतंक की फैक्ट्री लगाने के लिए आईएसआई चीफ से लेकर पाकिस्तानी सेना और आतंकी तक, सब एक्टिव हैं. हालांकि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के बढ़ते दखल से आम अफगानियों में गुस्सा है. लोग पाकिस्तान के विरोध में सड़कों पर निकल रहे हैं. आज काबुल से पाकिस्तान के विरोध की तस्वीरें भी सामने आईं. काबुल में तालिबान से बेखौफ अफगानियों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और अफगानिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए. भले ही इनकी तादाद मुट्ठी भर थी, लेकिन पाकिस्तान के विरोध की ऐसी आवाजें अब लगातार सुनाई दे रही है. हालांकि अब ये फिक्र सिर्फ अफगानिस्तान के अवाम की नहीं है बल्कि हिंदुस्तान की भी है. पाकिस्तानी खेल की जद में भारत समेत पूरी दुनिया है. पाकिस्तान की जमीन पर दुनिया को दहलाने की बड़ी साजिश रची जा रही है. इसका खुलासा इस्लामाबाद में लाल मस्जिद के मौलाना ने किया है.
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