
पंजशीर में तालिबान को कड़ी चुनौती मिल रही है, लेकिन उसकी आतंकी साख पर बट्टा न लगे इसलिए तालिबान लगातार प्रोपेगेंडा कर रहा है कि वहां वो बढ़त हासिल कर चुका है. यानी हो कुछ रहा है और तालिबान कह कुछ रहा है और ऐसा सिर्फ पंजशीर को लेकर ही नहीं, बल्कि कई चीजों में देखने को मिल रहा है, जिसमें तालिबान एक ओर प्रेस कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू में खुद के बदल जाने का दम भरता है, लेकिन पठानलैंड पर उसके लड़ाके उसका उल्टा करते दिखते हैं. ऐसी ही आज एक और तस्वीर सामने आई. काबुल और कंधार में लगी होर्डिंग्स के जरिए तालिबान दिखा रहा, बता रहा है कि शासन आय का स्रोत नहीं है बल्कि लोगों की सेवा करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन दूसरी ओर यही तालिबान पैसों के लिए चीन के जाल में फंसने जा रहा है.
क्या है चीन की साजिश और कैसे तालिबान उसका मोहरा बन रहा है इस रिपोर्ट में आपको दिखाते हैं. अफगानिस्तान 2 दशक पुरानी तबाही और बदहाली के दौर में दाखिल हो चुका है. इसके साथ ही उस ड्रैगन की मुंह मागी मुराद पूरी हो गई है, जिसकी रगों में मतलबपरस्ती और मुनाफाखोरी का लहू बहता है. चीन ने अफगानिस्तान के जख्मों को नासूर बनाकर अपनी तिजोरी भरने की तैयारी कर ली है. इसी कड़ी में उसे पैसे फेंककर तालिबान का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में लेने की कवायद शुरू कर दी है. दरअसल, तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के तमाम फॉरेन फंड्स को अमेरिका और पश्चिमी देशों ने फ्रीज कर दिया है. चीन इस मौके का फायदा उठाता दिख रहा है और उसने तालिबान को फंड्स देने का फैसला किया है.
तालिबान ने चीन को सबसे अहम सहयोगी बताया
इस बात को खुद तालिबान ने कुबूल किया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने इटली के एक अखबार ला रिपब्लिका को इंटरव्यू दिया है, जिसमें उसने चीन को सबसे अहम सहयोगी बताया है. उसने कहा कि चीन फंड देगा और नया अफगानिस्तान बनेगा. तालिबान के इस बयान के मायने बहुत बड़े हैं. ये बयान बताता है कि चीन ने अफगानिस्तान पर भी मदद और कर्ज का वो जाल फेंक दिया है, जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका, और कई अफ्रीकी देशों को फंसा चुका है. अभी तक अमेरिकी दबदबे के चलते चीन अफगानिस्तान में पैर नहीं जमा पा रहा था, लेकिन अब तालिबान से नजदीकी बढ़ाकर चीन अफगानिस्तान को लूटना चाहता है. चीन की नजर अफगानिस्तान की 200 लाख करोड़ रुपए की खनिज संपदा पर है. चीन दुनिया के सबसे बड़े रेयर अर्थ मैटेरियल और लीथियम भंडार पर कब्जा चाहता है.
जिस अकूत खजाने पर चीन की निगाहें गड़ी हैं, वो खजाना तालिबान ने चीन को सौंपने का इरादा कर लिया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने बताया है कि अफगानिस्तान की तांबे की खदानों को चीन मॉडर्न बनाएगा, लेकिन ये चीन का झांसा है जिसमें तालिबान फंसता नजर आ रहा है. चीन तालिबान पर इसलिए मेहरबान है, क्योंकि उसे अपने हित साधने हैं. उनमें से एक सबसे अहम प्रोजेक्ट है वन बेल्ट वन रोड. इसके जरिए मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक पैठ बनाना चाहता है और ये रास्ता अफगानिस्तान से होकर ही आगे बढ़ता है. इसलिए ये प्रोजेक्ट तालिबान के बिना पूरा नहीं हो सकता है और इसलिए चीन तालिबान पर जमकर मेहरबान है. मेहरबानी की एक और बड़ी वजह है उइगर विद्रोह. दरअसल चीन की शिनजियांग प्रांत की सीमा का एक हिस्सा अफगानिस्तान से जुड़ा हुआ है. यहां सरहद के दोनों ओर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के लड़ाके सक्रिय है, जो उइगर मुस्लिमों के लिए शिनजियांग प्रांत को आजाद कराने के लिए लड़ रहे हैं.
कुल मिलाकर चीन चाहता है कि अफगानिस्तान में तालिबान जल्द से जल्द सरकार का गठन करे और वो फौरन उसे मान्यता दे. उसके बाद चीन के जाल में फंसकर अफगानिस्तान उसका नया उपनिवेश बन जाए. महाशक्ति बनने के उसके मिशन के लिए पैसा भी जुटता रहे और चीन की शक्ति बढ़ता देखकर उसके खिलाफ कोई खड़ा होने की हिम्मत भी न कर सकेय इसके लिए चीन तालिबान को झांसा दे रहा है और अफगानिस्तान के उस हिस्से को सबसे पहले अपने नाम करना चाह रहा है, जिसकी बदौलत 20 साल तक अमेरिका की अफगानिस्तान में पकड़ मजबूत बनी रही. बगराम एयरबेस से ही अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंक के खिलाफ 20 साल लंबी जंग लड़ी. यहीं से उड़े फाइटर जेट्स और ड्रोन ने बारूद बरसाकर हजारों तालिबानी आतंकियों को मौत के घाट उतारा. यहीं से हजारों तालिबानियों को कब्र में पहुंचाने के ऑपरेशन अंजाम दिए गए. बगराम एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज के लिए पावर सेंटर और तालिबानी दहशतगर्दों के लिए टेरर सेंटर थी.
बगराम एयरबेस पर कब्जा करने की फिराक में चीन
लेकिन अब अमेरिका के अफगानिस्तान से चले जाने के बाद चीन बगराम एयरबेस पर कब्जा करने की फिराक में है. ये चेतावनी और आशंका संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने जताई है. उन्होंने कहा कि चीन पर नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि मुझे लगता है कि आप चीन को बगराम एयरबेस तक कदम बढ़ाते देख सकेंगे. चीन अफगानिस्तान में भी पैर जमा रहा है और भारत के खिलाफ मजबूत स्थिति बनाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है. यानी वो बगराम एयरफोर्स जो कल तक आतंक के खिलाफ लड़ाई का सबसे बड़ा सेंटर था, वो आतंक का सेंटर बनने वाला है. यहां पर दो रनवे की सुविधा है और यहां काबुल से आना और जाना बेहद आसान है. काबुल से इस एयरबेस की दूरी मात्र 40 किलोमीटर है.
यहां पर 10 हजार सैनिकों रहने का इंतजाम था…100 से ज्यादा फाइटर जेट्स और दर्जनों मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तैनात रहते थे. बगराम एयरपोर्ट के इसी रणनीतिक महत्व को देखते हुए चीन उस पर अपना कब्जा करना चाहता है, क्योंकि बगराम एयरबेस की लोकेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर की बदौलत ही अमेरिका 20 साल तक वहां पर सैनिकों को लाकर उन्हें ट्रेनिंग देकर गोला-बारूद जमा करके अफगानिस्तान में युद्ध लड़ सका. अब वही बना-बनाया एयरबेस चीन के लिए एक और विदेशी ठिकाना बन सकता है, ऐसा ठिकाना जिससे अफगानिस्तान पर उसकी पकड़ मजबूत हो जाएगी. चार सितंबर यानी कल काबुल में फिर तालिबानी हुकूमत कायम हो सकती है. चीन और पाकिस्तान को इस हुकूमत का बेसब्री से इंतजार है. दोनों की गिद्ध नजर अफगानिस्तान पर है.
तालिबानी सरकार के जरिए अपने दुश्मनों को टारगेट करना चाहते हैं चीन और पाकिस्तान
चीन और पाकिस्तान तालिबानी सरकार के जरिए अपने दुश्मनों को टारगेट करना चाहते हैं और उनकी लिस्ट में सबसे ऊपर है भारत. ऐसे में भारत को हर खतरे के लिए तैयार रहना होगा, खासतौर से कश्मीर को लेकर. अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होते ही कश्मीर को लेकर आतंकी संगठनों के मंसूबे भी सामने आने लगे हैं. चार-चार दुश्मन, एक साथ भारत को आंख दिखाने की जुर्रत कर रहे हैं. तालिबान जो कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा बताता था, अब कह रहा है कश्मीर के मुसलमानों के हक की आवाज उठाएंगे. अलकायदा कश्मीर की आजादी की बात कर रहा है और इन सबके पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI है.
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आते ही ग्लोबल आतंकियों के मंसूबे फिर से दम भरने लगे हैं. तालिबान ने जंग क्या जीती, आंतकियों के अरमान जगने लगे हैं. दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकी अमीन-उल-हक ने कभी अलकायदा के सरगना रहे ओसामा बिन लादेन के सिक्योरिटी इंचार्ज की भूमिका निभाई थी. तब अलकायदा की दुनिया में दहशत हुआ करती थी और अमीन-उल-हक तब ओसामा का राइट हैंड हुआ करता था. आज वो ही आतंकी पूरे काफिले के साथ अफगानिस्तान की सड़कों पर घूम रहा है. अलकायदा ने अपने मीडिया अरब-अल-साहब पर दो पन्नों का बधाई संदेश तालिबान के नाम जारी किया है, जिसमें अलकायदा का इस्लामिक स्टेट्स का सपना छिपा है और ये सपना ना सिर्फ यूरोप से लेकर दुनिया के बाकी देशों तक जाता है बल्कि भारत के अभिन्न अंग कश्मीर तक भी पहुंचता है और यही भारत की बड़ी फिक्र है और हिंदुस्तान के लिए डबल डेंजर भी. इसे समझने के लिए एक आतंकी संगठन की तरफ से भेजे गए बधाई संदेश में लिखा है कि इस्लामिक उम्माह को अफगानिस्तान में अल्लाह के द्वारा दी गई आजादी मुबारक. इसमें लेवंत, सोमालिया, यमन, कश्मीर और दुनिया के कई इस्लामी जमीनों को इस्लाम के दुश्मनों को आजाद कराने की बात कही है, लेकिन गौर करने की बात ये है कि इसमें ना तो शिन्जियांग है और ना ही चेचेन्या.
सवाल है कि जिस संदेश में कश्मीर का जिक्र है, उसमें शिन्जियांग और चेचेन्या के मुसलमानों के लिए आजादी की बात क्यों नहीं है जबकि दुनिया शिन्जियांग और चेचेन्या में मुसलमानों पर जारी अत्याचार से वाकिफ है. हिंदुस्तान की खुफिया एंजेंसियों के पास इस खेल के पीछे की पुख्ता जानकारी है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट है कि ग्लोबल जिहाद पर अल कायदा का संदेश, जिसमें कश्मीर भी शामिल है उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर दिया गया है. ISI के ही आदेश पर अलकायदा ने शिन्जियांग और चेचेन्या का नाम संदेश से हटाया है. ये खेल खतरनाक है. एक तरफ अलकायदा का संदेश है तो दूसरी तरफ उइगर मुसलमानों पर चुप्पी साधने वाले तालिबान का कश्मीर पर बयान. तालिबान ने कहा है कि तालिबान को कश्मीर सहित दुनियाभर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है.
अब तक कश्मीर तालिबान के एजेंडे में नहीं था, लेकिन अलकायदा और तालिबान का कश्मीर प्रेम छलकना भारत के लिए डबल डेंजर है. ये बात अलग है कि अलकायदा हो, तालिबान हो या पाकिस्तान. ये जानते हैं कि कश्मीर को लेकर इनका इरादा ना तो कभी पूरा हुआ है ना होगा. इन्हें ये भी पता है कि कश्मीर में अब ये कुछ भी नहीं कर सकते. इनके बचे-खुचे आतंकी भी घाटी में मारे जा रहे हैं और भारत अब कश्मीर की चिंता छोड़कर कश्मीर के अधूरे नक्शे को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है. यानी पाक अधिकृत कश्मीर को कश्मीर से जोड़ने की रणनीति पर चल रहा है. यही वजह है कि पाकिस्तान में हलचल तेज हो गई है और साजिश पर साजिश रची जा रही है. कभी ड्रोन से तो कभी आतंकी घुसपैठ को तेज कर. लिहाजा सुरक्षाबल अलर्ट हैं और जवानों का सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है.
तालिबान के काबुल पर कब्जे तक पाकिस्तानी सेना और आतंकियों की फौज, अफगान सेना से लड़ती रही, लेकिन अब जब तालिबान जीत के जश्न में डूबा है तो पाकिस्तान के दिल में एक नापाक ख्वाब पनप रहा है. पाकिस्तान को काबुल की जीत में कश्मीर नजर आने लगा है. पाकिस्तान को अफगानियों पर गोली चलाने वाले लड़ाकों में कश्मीर जिताने वाला योद्धा नजर आने लगा है. पाकिस्तानियों को लग रहा है कि जो बाजवा नहीं कर सकते, जो काम पाकिस्तान की तीनों सेनाओं के बूते की बात नहीं, वो काम तालिबानी कर सकते हैं. कश्मीर पर पाकिस्तान की ये जहरीली सोच सामने आ गई है. अलकायदा का बयान सामने आ गया है. तालिबान की ख्वाहिश जगजाहिर हो गई है. ऐसे में भारतीय सुरक्षा बल कश्मीर में पाकिस्तान से लगती सीमा पर हाई अलर्ट है. देश के जांबाज जवान दुश्मन की हर हरकत को नाकाम करने के लिए तैयार हैं और बॉर्डर के चप्पे चप्पे पर निगरानी कर रहे हैं ताकि हर आतंकी साजिश नाकाम हो.
टीवी9 भारतवर्ष को सूत्रों से जानकारी मिली है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन एक्टिव हो गए हैं. मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में लॉन्चिंग पैड के पास गतिविधियां तेज हो गई हैं, जो घुसपैठ में बढ़ोतरी का संकेत दे रही हैं. लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों ने अपने आतंकियों को कश्मीर में दाखिल कराने के प्रयास बढ़ा दिए है. बीती रात ही पुंछ सेक्टर में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन वीर सैनिकों ने इसे फिर नाकाम कर दिया. पाकिस्तानी सीमा से कुछ आतंकी कृष्णा घाटी सेक्टर में घुसपैठ का प्रयास कर रहे थे, जिन्हें जवानों ने खदेड़ के भगा दिया. ये 5 दिन में दूसरी बार है जब सेना ने घुसपैठ की कोशिश को विफल किया है. सोमवार को भी जवानों ने पुंछ में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दो आतंकी मार गिराए थे. जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन लगातार साजिश रच रहे हैं. इसके लिए सीमा पार से ड्रोन का सहारा भी लिया जा रहा है. हर बीते दिन के साथ जम्मू में संदिग्ध ड्रोन देखे जा रहे हैं. आतंकी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि बॉर्डर की सुरक्षा में सरहद पर हिंद के जवान पूरी तरह मुस्तैद हैं. दुश्मन ने अगर कुछ भी गलत हरकत की तो बॉर्डर पर मौजूद भारत के सैनिक मुंहतोड़ जवाब देंगे.
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