
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने गुरुवार को कहा कि भारत और बाकी विश्व के बीच छात्र एक पुल का काम करते हैं और उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने को “सर्वाधिक प्राथमिकता” दी जाती है जिन्हें किसी पढ़ाई के लिए विदेशी संस्थान में प्रवेश मिल जाता है.उन्होंने कहा कि कोविशील्ड टीके को यूरोपीय संघ के 17 सदस्यों और स्विट्जरलैंड ने मान्यता दी है . भारत से यात्रा पर पाबंदी हटा ली है जिससे छात्रों और आवश्यक काम के लिए जाने वालों को प्रवेश की अनुमति मिली है.
श्रृंगला ने ‘आल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दिया. कार्यक्रम का विषय था- ‘टीके के बाद की वैश्विक व्यवस्था: वैश्विक व्यापार और यात्रा में आई बाधाओं को दूर करना.’ उन्होंने कहा, “महामारी से मुकाबले में देखभाल सहयोग और सहकारिता हमारी विशेषताएं रहे हैं. वैश्विक व्यापार और यात्रा में आई बाधाओं को दूर करने में भी इसकी अहम भूमिका है.”
विदेश जाने वाले छात्रों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र
विदेश सचिव ने कहा कि आवाजाही की बाधाओं को दूर करना भारत और पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले उसके छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.वहीं विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला 23 जुलाई को अपनी दो दिवसीय ब्रिटेन यात्रा पर थे. इस दौरान वो ब्रिटेन के अधिकारियों के साथ मई में जारी 10 साल के रोपडमैप के क्रियान्वयन समेत द्विपक्षीय संबंधों की विस्तृत समीक्षा की गई. विदेश मंत्रालय ने उनकी यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि श्रृंगला ब्रिटेन के अपने समकक्ष के साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच एक डिजिटल शिखर सम्मेलन में ‘रोडमैप 2030’ स्वीकार किया गया था, जो द्विपक्षीय संबंधों को एक समग्र रणनीतिक भागीदारी तक ले जाने पर केंद्रित है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यात्रा के दौरान, विदेश सचिव अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे और रोडमैप 2030 के क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान देने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों की विस्तृत समीक्षा करेंगे.