
महाबली प्लेन सैकड़ों गाड़ियों का काफिला और कमांडो 20 साल बाद कुछ इसी ठसक के साथ कंधार पहुंचा. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान का टॉप पॉलिटिकल लीडर. दो दिन पहले मुल्ला बरादर के कंधार पहुंचने की इस तस्वीर को पूरी दुनिया ने देखा. इस तस्वीर के साथ ही तालिबानी प्रोपेगेंडा गैंग भी एक्टिव हुआ. खबर फैली की शुक्रवार तक अफगानिस्तान को नई तालिबानी सरकार मिल जाएगी.बरादर के नेतृत्व में पूरी सरकार का शपथ ग्रहण हो जाएगा लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.
अब सवाल है कि क्या ये खबर अफवाह थी या फिर तालिबान सरकार बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा और इसकी वजह तालिबान में बड़ी फूट है. क्योंकि 6 दिन से जिस अफगानिस्तान पर कब्जे का ढोल तालिबान प्रवक्ता हर दिन पीट रहे हैं. सरकार बनाने को लेकर उतने ही मौन है. पिछले 48 घंटे में अफगानिस्तान के किसी भी शहर में तालिबान की किसी भी मीटिंग की खबर नहीं है. इसके ठीक उलट खबर है कि ढोल नगाड़े के साथ कंधार पहुंची तालिबानी पॉलिटिकल टीम दोहा में आगे की रणनीति बनाने जा रही है. अब काबुल और कंधार की बजाय दोहा में सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं.
ये हैं वो बड़े नेता
अब दोहा में हामिद करजई और तालिबान के बीच बातचीत होगी. पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई दोहा में मिलीजुली सरकार के लिए कोशिश करेंगे. इस बातचीत में तालिबान नेतृत्व, हामिद करज़ई, डा. अब्दुल्ला और गुलबदीन हेकमतियार होंगे. मतलब साफ है अफगानिस्तान में सत्ता की राह तालिबान के लिए अभी भी आसान नहीं है. इन नेताओं की कोशिश है कि अफगानिस्तान में सभी पक्षों को शामिल कर एक व्यापक सरकार बनाई जानी चाहिए ना कि केवल अकेली तालिबानी सरकार जिसे दुनिया के ज़्यादातर देश शायद ही मान्यता दें.
लेकिन इन खबरों के बीच तालिबान के टॉप लीडर में पड़ी फूट भी बड़ी वजह है. सरकार बनाने को लेकर तालिबान के बड़े नेताओं के बीच दूरी बढ़ गई है. ऐसे में पहले ये पहले ये समझना ज़रूरी होगा कि तालिबान के चार बड़े नेता कौन-कौन हैं. तालिबान का प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा है. वो 2016 में मुल्ला मंसूर अख़्तर के मारे जाने के बाद इस पद पर आया था.
इसके बाद नंबर है मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर का मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान की राजनीतिक विंग का प्रमुख है. बरादर ने मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की नींव रखी थी और वो तालिबान का प्रमुख रहा है. तीसरे नंबर पर है सिराजुद्दीन हक़्क़ानी है, वो हक़्क़ानी नेटवर्क का प्रमुख है और तालिबान का उपनेता है. इसके बाद नंबर आता है मुल्ला याक़ूब का. मुल्ला याक़ूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है और तालिबान मिलिट्री कमीशन का प्रमुख है. कहा जाता है कि मुल्ला याक़ूब तालिबान का अगला प्रमुख हो सकता है.
तालिबान के दूसरे सीनियर लीडर्स ने अखुंदज़ादा को पिछले 6 महीने से नहीं देखा है. कई रिपोर्ट्स का दावा है कि अखुंदजादा पाकिस्तानी सेना की सेफ कस्टडी में हो सकता है. विदेशी इंटेलीजेंस एजेंसीज ने अखुंदजादा से जुड़े इनपुट शेयर किए हैं. इस पर भारत भी नजर बनाए हुए है. ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने तालिबान से मेल-मिलाप बढ़ाना शुरू कर दिया. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद वहां अपना हिस्सा मांग रहा है.यहीं नहीं इंटेलीजेंस एजेंसीज की रिपोर्ट है कि तालिबान के सामने अब अपने ही आतंकी गुटों में संघर्ष रोकने की चुनौती है. अल कायदा और कई आतंकी संगठन एक साथ आ गए हैं. ऐसे में अफगानिस्तान में तालिबान के लिए सरकार बनाना आसान नहीं है.