
काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर डर है, खौफ है, बेपनाह दर्द है, साथ ही फिक्र है, खौफ में लिपटे अफगानियों को मालूम नहीं कि आगे क्या होगा. उन्हें हर आने वाले वक्त की फिक्र है. क्योंकि काबुल एयरपोर्ट पर धमाके के बाद भी न भीड़ कम हो रही है, ना ही अफरा-तफरी रूक रही है और ना ही रेस्क्यू पूरा हो रहा है. साथ ही डर है कि गुबार छंटेगा तो, कार बम फटेगा.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर अभी भी बंदूकधारी दशतगर्दों का पहरा है और अंदर अमेरिकी जवानों का मोर्चा. अंदर और बाहर दोनों तरफ यहां बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और जवान हैं. अंदर कमर तक सीवरेज और नालियों में फंसे हजारों मजबूर और लाचार अफगानी है, जो अमेरिका और NATO की फौज के रहमो-करम पर हैं. ब्लास्ट के बाद ये फौजी अलर्ट हैं. अफगानियों को रोका जा रहा है, चेतावनी दी जा रही है.
अभी और आत्मघाती हमले की आशंका
अब तो सच ये भी है कि इन अमेरिकी जांबाजों के बंदूक के नीचे भी अफगानियों की जिंदगी महफूज नहीं हैं. जैसे जैसे वक्त बीत रहा है, घड़ी की टिक टिक काउंट डाउन का इशारा कर रही है. कई और आत्मघाती धमाके का अलर्ट जारी हो रहा है. अब इनकी महफूजियत पर आशंकाओं में लिपटे कई सवाल उठ रहे हैं.
सवाल है कि क्या एयरपोर्ट पर मौजूद ये लोग अब सुरक्षित नहीं हैं? क्या काबुल एयरपोर्ट पर और आतंकी हमले का खतरा है? क्या काबुल एयरपोर्ट पर और कत्ल-ए-आम मचने वाला है? क्या 100 घंटे के अंदर एयरपोर्ट पर और लाशें बिछने वाली हैं? ये चार सवाल यूं ही नहीं हैं. इसके पीछे कई एंजेंसी की इंटेलिजेंस रिपोर्ट है. ISIS की साजिश और तालिबान की आक्रामकता है. साथ ही अमेरिका की आपाधापी है. इसे बारी-बारी से समझिए.
अमेरिका ने नए हमलों के लिए जारी किया अलर्ट
सबसे पहले बात आतंकी हमले की. एयरपोर्ट के बाहर हुए आत्मघाती हमले के बाद भी खतरा बरकरार है. अमेरिका ने नए हमलों को लेकर अलर्ट जारी किया है. अमेरिकन ब्रॉडकास्ट कंपनी यानी ABC के मुताबिक एक बार फिर आतंकी संगठन ISIS खुरासान हमला कर सकता है. हवाई अड्डे के नॉर्थ गेट पर कार बम ब्लास्ट का खतरा है. इस बार रॉकेट और कार के जरिए बम धमाके की संभावना है. ताकि एयरपोर्ट को निशाना बनाया जा सके. पेंटागन को पुख्ता जानकारी है कि ISIS-K एयरपोर्ट पर और हमला करने की तैयार कर चुका है.
यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकेंजी का दावा है कि इस्लामिक स्टेट के जरिए और हमले किए जाने को लेकर अमेरिकी कमांडर अलर्ट हैं. अमेरिका हर वो काम कर रहा है जिसकी जरुरत फिलहाल एयरपोर्ट पर है. जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने ये भी कहा है कि कुछ खुफिया जानकारी तालिबान ने भी साझा की है. कुछ हमलों को तालिबान ने होने से रोका भी है.
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को चेताया था
बुधवार को भी आत्मघाती हमले से अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपने लोगों को चेतावनी दी थी. सभी नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट नहीं जाने को कहा गया
और कहा गया कि जो एयरपोर्ट के बाहर मौजूद हैं, वहां से तुरंत हट जाएं. ऐसा ही अलर्ट फिर जारी किया गया है. अमेरिका ने कहा है कि अमेरिकी काबुल एयरपोर्ट ना जाएं और अगर वहां मौजूद हैं तो फौरन हट जाएं और अगले निर्देश का इंतजार करें.
इस नई एडवाइजरी के बाद भी काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल बना है. काबुल एयरपोर्ट से दूर रहने की हिदायत के बीच लोगों की फिक्र डेडलाइन की है. जब 31 अगस्त तक अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर निकलना है. धमाके के बाद से तालिबान ने अपनी चौकियों पर सुरक्षा बढ़ा दी है. एयरपोर्ट के आस-पास नियंत्रण मजबूत किया है. और वो लगातार क्राउड कंट्रोल में जुट गए है. इसके बावजूद लोगों का हुजूम एयरपोर्ट पर है. पिछले 24 घंटे में काबुल एयरपोर्ट से मिली लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 60 हजार से ज्यादा लोग एयरपोर्ट के बाहर मौजूद हैं. 15 हजार से ज्यादा लोग एयरपोर्ट के अंदर हैं. सिर्फ अमेरिका इकलौता देश है जो रेस्क्यू ऑपरेशन को चला रहा है.
बाकी NATO के देशों के ऑपरेशन करीब करीब बंद हैं. अभी भी 1500 अमेरिकी अफगानिस्तान में फंसे हैं. हालांकि इस बीच अमेरिका पर तालिबान भी हमलावर दिख रहा है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि ये धमाका उस इलाके में हुआ जो अमेरिकी सेनाओं के नियंत्रण में है. तालिबान के एक और प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अमेरिकी फौज के जरिए प्रबंधित क्षेत्र में लोगों के बीच विस्फोट हुए.
अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है तालिबान
हालांकि तालिबान अब सुरक्षा बढ़ाने की दलील दे रहा है लेकिन साफ है तालिबान अपनी जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ रहा है. हालांकि एक दिन पहले तक तालिबान दावा कर रहा था कि अफगानिस्तान की धरती से इस्लामिक स्टेट का सफाया कर दिया गया है. लेकिन ISIS-K ने जिस तरह हमले को अंजाम दिया. तालिबान और अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की है कि अफगानिस्तान की धरती पर वो भी एक बड़ी ताकत है.
ISIS-K ने ना सिर्फ काबुल में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है बल्कि उस फिदायीन की फोटो भी रिलीज की है, जिसने काबुल एयरपोर्ट को बेकसूर इंसानों के लहू से लाल कर दिया. उस आतंकवादी का नाम अब्दुल रहमान अल लागोरी बताया है. आईएसआईएस ने कहा है कि इसी लड़ाके ने एयरपोर्ट में सुरक्षा बलों को चकमा देकर हमला किया और जब हमला किया, तो उस वक्त महज 5 मीटर की दूरी पर अमेरिकी सैनिक थे, जो अफगान शरणार्थियों के दस्तावेज बना रहे थे.
ये हमला करके ISIS-K ने ना सिर्फ अमेरिका को खुला चैलेंज दिया है, बल्कि तालिबान को भी चुनौती दी है. इस हमले के साथ अमेरिका और तालिबान के साथ दुश्मनी की राह पर एक कदम और आगे चला गया. लेकिन ये ISIS-K आखिर है क्या, क्यों तालिबान और ISIS एक दूसरे को दुश्मन मानते हैं. ये दुश्मनी निभाते हुए उन बेकसूर लोगों को क्यों मौत के घाट उतार दिया, जो अफगानिस्तान में रुकना ही नहीं चाहते थे.
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