
इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी चिंता है अफगानिस्तान. एक ऐसा मुल्क जहां दुनिया के कई देशों की सांसें अटकी हुई हैं. काबुल एयरपोर्ट पर सीरियल ब्लास्ट के बाद कई आशंकाएं सच भी साबित हुई हैं. अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा, क्या अमेरिका 31 अगस्त को अफगानिस्तान से निकल जाएगा, क्या अमेरिका अब अपने कमांडो की मौत का बदला आगे भी लेगा, क्या तालिबान के सहारे पाकिस्तान अपनी नाकाम चाल चल पाएगा, क्या है मुल्ला बरादर और मसूद अजहर की मुलाकात का सच और क्या महिलाओं के लिए अफगानिस्तान अब जहन्नुम बन जाएगा? इन सभी सवालों का जवाब आज अकेला तालिबान दे सकता है.
अफगानिस्तान में तालिबान के सरकार चलाने को लेकर पहले से संदेह है, लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर हुए ब्लास्ट के बाद अब सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. अफगानिस्तान में क्या लोगों को सुरक्षा दे पाने में तालिबान सक्षम है. इसी सवालों का जवाब देते हुए तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ब्लास्ट के बाद पहली बार TV9 से बातचीत की और बताया आखिर चूक कहां हुई. तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा ‘काबुल एयरपोर्ट पर दर्दनाक हादसा हुआ है. हमले वाली जगह की सुरक्षा का जिम्मा विदेशी हाथों में था. शाहीन ने कहा काबुल एयरपोर्ट के बाहर अभी स्थिति कंट्रोल में है.’
काबुल एयरपोर्ट पर हुए ब्लास्ट के पीछे सबसे बड़ी वजह सुरक्षा में चूक है इसे नकारा नहीं जा सकता. ये भी सही है कि एयरपोर्ट के बाहर तालिबान का कब्जा है और यहां की सुरक्षा भी तालिबान के जिम्मे है. तालिबानी सुरक्षा चक्र को तोड़कर ISIS-K का आतंकी एयरपोर्ट के मेन गेट तक पहुंच जाता है. एयरपोर्ट पर हर 20 मीटर की दूरी पर एक तालिबानी लड़ाका मौजूद था. फिर कैसे ISIS-K का आतंकी मेन गेट तक पहुंच गया. इन सवालों की सफाई भी सुहैल शाहीन ने दी है.
शाहीन ने ब्लास्ट का ठीकरा अमेरिका पर फोड़ दिया है. शाहीन ने कहा, ‘आतंकियों के इस्तेमाल किए रास्ते पर हमारी सुरक्षा नहीं थी. काबुल एयरपोर्ट के नॉर्थ-साउथ इलाकों में हमारे लड़ाके हैं. मेन गेट का रास्ता खोला गया था, जिसकी सुरक्षा हमारे पास नहीं थी. उसी रास्ता का फायदा उठाकर IS आतंकी अंदर घुसे होंगे.
ISIS की जड़ें अफगान में नहीं जमने देंगे: तालिबान
अफगानिस्तान में तालिबान राज आते ही ISIS-K के एक्शन में आने से ये चर्चा गर्म हो गई है कि तालिबान और ISIS-K की गठजोड़ तो नहीं है. क्या तालिबान राज में फिर से अफगानिस्तान में ISIS-K और अलकायदा अपने अस्तित्व में आ जाएंगे, क्या तालिबान राज में ISIS-K को मजबूती मिलेगी? इन सवालों के जवाब पर सुहैल शाहीन ने कहा, ‘ISIS की मौजूदगी पर तालिबान का स्टैंड साफ है. तालिबान ISIS को बहुत जल्द अपने नियंत्रण में ले लेगा. जैसे ही अफगानिस्तान से विदेशी कब्जा खत्म होगा ISIS भी खत्म हो जाएगा. ISIS अफगानी नहीं हैं ये लोग बाहरी हैं. ISIS की जड़ें अफगान में नहीं जमने देंगे’ .
उधर अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर अपने 13 जवानों की मौत का बदला 36 घंटे के भीतर ले लिया. नांगरहार में ड्रोन हमले से ISIS-K के आतंकी और काबुल ब्लास्ट के मास्टर माइंड को ढेर कर चुका है. अमेरिका के इस हमले पर तालिबान खफा है. नांगरहार पर अमेरिकी ड्रोन अटैक पर तालिबान ने कहा, ‘अमेरिका अब नांगरहार पर हमला नहीं कर सकता. अमेरिका हमारे अंदरूनी मामले में दखल ना दे. तालिबान अपने अंदरूनी मामलों को हैंडल कर सकता है. इसके अलावा तालिबान ने सरकार बनाने को लेकर बने संस्पेंस को खत्म करते हुए कहा कि सरकार बनाने की रणनीति फाइनल स्टेज में है. तालिबान के सभी नेताओं और कमांडरों की सहमति से सरकार बनाना चाहते हैं. राजनीतिक पार्टियों से सलाह ली जा रही है. बहुत जल्द सरकार बनाने का ऐलान किया जाएगा.
तालिबान ने दी भारतीयों की सुरक्षा की गारंटी
तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने TV9 से हुई बातचीत में कहा, ‘अफगानिस्तान में बचे भारतीय की सुरक्षा की फुल गारंटी है. काबुल में फंसे भारतीयों को परेशान नहीं किया जाएगा. जो भी भारतीय फंसे हैं वो कमर्शियल फ्लाइट से आना-जाना कर सकते हैं. बिना दस्तावेज़ के एयरपोर्ट पर पहुंचने वालों को दिक्कत होगी. जिनके पास पासपोर्ट है, जिनके पास सारे डॉक्यूमेंट्स हैं वो आराम से अफगानिस्तान आ भी सकते हैं और अफगानिस्तान से जा भी सकते हैं’. 14 अगस्त से अभी तक 565 लोगों को काबुल से एयर लिफ्ट किया जा चुका है. भारत लाए गए ज्यादातर दूतावास के कर्मचारी और वहां रहने वाले नागरिक हैं.
तालिबान की अमेरिका को दो टूक
तालिबान ने एक बार फिर से अमेरिका को 31 अगस्त की डेडलाइन पर कायम रहने को कहा है. सुहैल शाहीन ने कहा है कि ‘अमेरिका ने 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से जाने का वादा किया था. अमेरिका अपने वादे पर कायम रहे. अमेरिका भूल से भी तालिबान से वादाखिलाफी करने का न सोचे’. आपको बता दें कि व्हाइट हाउस ने कहा है कि 14 अगस्त से कल तक करीब 1 लाख 11 हजार लोगों को निकाला जा चुका है. जिसमें 5100 अमेरिकी नागरिक शामिल हैं. अफगानिस्तान में अभी भी 1500 अमेरिकी नागरिक फंसे हैं जिनसे अमेरिका लगाताक संपर्क करने की कोशिश में लगा हुआ है. अमेरिका ने उन्हें काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए भी कहा है. इसी सिलसिले में अमेरिका ने तालिबान को अपने लोगों की एक लिस्ट भी सौंपी है.
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