
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े को 10 दिन हो गए, लेकिन पंजशीर घाटी से मिल रही चुनौती का अभी भी तालिबान के पास कोई जवाब नहीं है. कल ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि पंजशीर के लिए भोजन और ईंधन की आपूर्ति रोकी जा रही है. लेकिन आज ये खबर आई कि अंदराब घाटी पर तालिबान के कब्ज़े की झूठी ख़बर फैलाई गई थी. इस बीच पंजशीर की रखवाली में नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के लड़ाके लगातार चोटियों पर मोर्चा संभाले हुए हैं. पंजशीर के इन लड़ाकों पर ध्यान देने से पहले ज़रा पहाड़ की इन चोटियों को देखा जाए तो अंदाजा होगा कि इतिहास के निर्माण में भूगोल का कितना बड़ा योगदान होता है.
पंजशीर की रखवाली में तैनात हैं 5 पर्वत
बता दें कि पंजशीर की रखवाली में पांच-पांच पर्वत तैनात हैं. अलग-अलग दौर में कई कोशिशें हुईं. तालिबान ने तो जी-जान लगा दिया. लेकिन पंजशीर पर पंछी भी पर नहीं मार सका. इस समय पंजशीर में तालिबानी लड़ाकों और नॉर्दन अलायंस के बीच ज़बरदस्त जंग जारी है. पंजशीर में घुसने की कोशिश कर रहे 35 तालिबानी मारे जा चुके हैं. कहा जा रहा है कि पहले तालिबानियों को जिंदा पकड़ा गया और फिर उन्हें गोली मार दी गई.
9 हजार से 20 हजार तक पहुंची नॉर्दन अलाएंस की सेना
तालिबान को ललकारने वाले अहमद मसूद का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है.. तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले पूर्व कमांडर उनके दस्ते में शामिल हो रहे हैं. इसी के साथ नॉर्दन अलाएंस के लड़ाकों की संख्या 9 हजार से बढ़कर अब 20 हजार तक पहुंच गई है. पंजशीर में मिल रहे इस करारा जवाब के चलते तालिबान के भी सुर बदल गए हैं. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि हम पंजशीर का मसला शांति से सुलझाना चाहते हैं. उधर नॉर्दर्न अलायंस ने चिंता जताई है कि दुनिया इस जंग में पंजशीर का साथ दे, अगर वो मुंह फेर लेगी तो काबुल कब्रगाह बन जाएगा.
इस बीच तालिबान से लोहा लेने के लिए पंजशीर का नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट लगातार तैयारी में है. नई भर्तियां हो रही हैं और उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. लेकिन आगे क्या पंजशीर के लिए सबकुछ इतना आसान रहने वाला है? अब दो महत्वपूर्ण ट्वीट पर ध्यान दीजिए. बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने तीन दिन पहले ट्वीट किया कि पंजशीर तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करेगा और संघर्ष जारी रहेगा. दूसरी ओर अमरुल्लाह सालेह ने एक दिन पहले ट्वीट किया कि पंजशीर की अंदराब घाटी में तालिबान ने भोजन और ईंधन की सप्लाई रोक दी है.
पंजशीर पर अपना पैतरा बदलने लगा है तालिबान
दरअसल, मंगलवार से ही ऐसी खबरें आने लगी थीं कि तालिबान ने पंजशीर घाटी की ओर अपने सैकड़ों लड़ाके रवाना कर दिए हैं और घाटी को तीन ओर से घेर भी लिया है. लेकिन अब दूसरी खबर ये भी है कि अंदराब पर कब्जे की तालिबान ने झूठी खबर फैलाई थी और पंजशीर में लगातार तालिबान के विरोधी इकट्ठा हो रहे हैं.
वैसे पंजशीर ने दुनिया से मदद की जो अपील की है, उसपर ध्यान देने की ज़रूरत है. माना जा रहा है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार पंजशीर की राह थोड़ी मुश्किल है. देखा जाए तो पिछली बार उत्तरी अफगानिस्तान के कई इलाकों पर तालिबान कब्जा नहीं कर सका था. लेकिन अबकी बार पंजशीर के अलावा पूरा उत्तरी अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में है.
पंजशीर भले तालिबान के कब्जे में नहीं है लेकिन पंजशीर को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा है. बंदूक के दम पर तालिबान अपनी हनक दिखा रहा है. लेकिन तालिबान के टॉप लीडर की बेचैनी हर दिन बढ़ती जा रही है. वजह है अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को अमेरिका सहित 60 देशों ने बड़ा झटका दिया है.
60 देशों ने अफगानिस्तान की आर्शिक मदद रोकी
दुनिया के 60 देशों ने अफगानिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद रोक दी है. इन देशों ने अफगानिस्तान को हर साल मिलने वाली कई बिलियन डॉलर की मदद रोकने का फैसला किया है. अमेरिका के बैंकों में मौजूद अफगान सरकार के खातों को सील कर दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाले 460 मिलियन डॉलर निकालने पर रोक लगा दी है.
मतलब साफ है अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद भी तालिबान खजाने से दूर है और पाई पाई को तरस रहा है. चीन ने तालिबान की ये ही कमजोर नस पकड़ ली है. चीन ने संकेत दिया है कि वो तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान को आर्थिक सहयोग देगा. लेकिन इस मदद के पीछे चीन की मंशा ब्लैकमेलिंग की है. वो अफगानिस्तान की घरती पर मौजूद तीन ट्रिलियन डॉलर के खजाने पर कब्जा करना चाहता है.
अब तालिबान के कंधे पर ब्लैकमेलर चीन का हाथ है और तालिबान की इसी खूनी सफलता में अफगान लैंड की बदरंग तस्वीरों में चीन अपना चमकता भविष्य देख रहा है.
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