
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (allahabad high court )ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद (Varanasi Gyanvapi mosque case) के संपूर्ण परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया है. अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 सितंबर तय की है.
इससे पहले अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में पक्षकार बनाने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस याचिका में उन्हें प्रतिवादी बनाया था.
स्थानीय कोर्ट का आदेश है अवैध
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वाराणसी की स्थानीय अदालत ने आठ अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का जो आदेश दिया था वह अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी की अदालत में लंबित मुकदमा विचार करने योग्य है या नहीं, इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन वाराणसी की अदालत दूसरे पक्षकार (मंदिर न्यास) की दलीलें सुनती रही है.
स्थानीय कोर्ट ने दिया था पांच सदस्यीय समिति के गठन का आदेश
बता दें है कि वाराणसी की अदालत ने 8 अप्रैल, 2021 को दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था. जो सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के समग्र भौतिक सर्वेक्षण का काम देखेगी.
इस मामले में दलील दी गई थी कि वाराणसी में यह मस्जिद, मंदिर के हिस्से में बनाई गई है. मूल रूप से मुकदमा 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था. जिसमें उस प्राचीन मंदिर को पूरी तरह से बहाल करने का अनुरोध किया गया जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद है.
(इनपुट भाषा)