
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य में तीन राजधानियां बनाने के वाईएस जगनमोहन रेड्डी (YS Jaganmohan Reddy) सरकार के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी. मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को स्वीकार किया और कोरोना वायरस मामलों में वृद्धि के मद्देनजर सुनवाई नवंबर तक के लिए टाल दी.
तीन राजधानियां स्थापित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ 100 से अधिक याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं. जून 2020 में, जगन सरकार ने विशाखापत्तनम को राज्य की कार्यकारी राजधानी, कुरनूल को न्यायिक राजधानी और अमरावती को विधायी राजधानी के रूप में स्थापित करने के इरादे से एपी विकेंद्रीकरण और समस्त क्षेत्र समावेशी विकास अधिनियम, 2020 को अधिनियमित किया था.
सुनवाई के दौरान कहा गया कि कोरोना महामारी के कारण मामले को आगे 23 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. कोर्ट ने याचिकाओं के बैच की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी, जस्टिस जॉयमाला बागची और जस्टिस एन जयसूर्या की तीन-न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया है. जब सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई, तो याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने बढ़ते कोरोना मामलों का हवाला देते हुए इसे स्थगित करने की मांग की.
विपक्ष ने भी किया था इस फैसले का विरोध
आंध्र प्रदेश की विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया था, जिसमें अमरावती के भविष्य पर असमंजस पैदा करते हुए राज्य में दो और राजधानी होने का प्रस्ताव रखा. सदन में लंबी बहस के बाद यह बिल बिना किसी संशोधन के पास हो गया था. अब अमरावती के अलावा विशाखापत्तनम और कुर्नूल भी राज्य की दो अलग राजधानियां हैं.
इस बिल के खिलाफ विपक्ष और अमरावती के किसानों के प्रदर्शनों को नजरंदाज करते हुए और सभी अनुमानों को खत्म करते हुए प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने राजधानी के प्रमुख कामकाज अमरावती से बाहर करने का प्रस्ताव पेश किया था. मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर आंध्र प्रदेश राजधानी विकास प्राधिकरण को खत्म कर दिया था. माना जाता है कि इस प्राधिकरण का गठन राजधानी अमरावती के विकास के लिए किया गया था.
(भाषा)
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