
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को 14 ‘एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्धक सूट’ (आईएडीएस) की खरीद के लिए महिंद्रा डिफेन्स सिस्टम्स लिमिटेड के साथ करार पर हस्ताक्षर किए. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह उपकरण अधिक दूरी पर शत्रु की पनडुब्बियों और टॉरपीडो का पता लगाने की क्षमता रखता है और शत्रु की पनडुब्बियों से आते टॉरपीडो की दिशा मोड़ने में भी सक्षम है.
मंत्रालय ने कहा कि आईएडीएस से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी. एक वक्तव्य में कहा गया, ”रक्षा मंत्रालय ने 1,349.95 करोड़ रुपये की लागत से 14 एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्धक सूट की खरीद के लिए महिंद्रा डिफेन्स सिस्टम्स लिमिटेड के साथ करार पर हस्ताक्षर किए.” वक्तव्य में कहा गया कि इस परियोजना से आत्मनिर्भर भारत अभियान और स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा.
इस विमान के लिए बोइंग का पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक
भारतीय नौसेना को अमेरिका स्थित एयरोस्पेस कंपनी बोइंग से 10वां पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान P-8I प्राप्त हुआ है. रक्षा मंत्रालय ने पहली बार 2009 में आठ P-8I विमानों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे. बाद में, 2016 में, इसने चार अतिरिक्त P-8I विमानों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए.शेष दो विमानों की आपूर्ति 2021 की अंतिम तिमाही में होने की उम्मीद है. P-8I एक लंबी दूरी की समुद्री टोही और पनडुब्बी रोधी युद्ध विमान है, और अमेरिकी नौसेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले P-8A Poseidon का एक वेरिएंट है.भारत इस विमान के लिए बोइंग का पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक था. भारतीय नौसेना ने 2013 में पहला P-8I विमान शामिल किया था, जबकि नौवां P-8I विमान नवंबर 2020 में प्राप्त हुआ था.
अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर इन विमानों के बेड़े का संचालन करती है भारतीय नौसेना
वहीं अमेरिका के पी-8 आई एयरक्राफ्ट ‘हंटर’ नाम से प्रसिद्ध हैं. हिन्द महासागर क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण चोक पॉइंट्स पर निगरानी रखने के लिए भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिका से 12 पी-8 आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में सौदा किया था. इनमें से 8 टोही विमानों की आपूर्ति 2013 में की जा चुकी है, जिन्हें तमिलनाडु के अरक्कोनम में तैनात किया गया है.