
सबसे पहले फिक्र पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान की जहां पिछले 9 दिनों से तालिबान का संपूर्ण कब्जा है. समावेशी सरकार बनाने का दावा है. इस बीच आज तालिबान ने मुल्क चलाने वाले 12 सदस्यों वाली एक काउंसिल का गठन किया और इनमें 7 नामों का ऐलान कर दिया. बताया जाता है कि अभी पांच नाम तय होने बाकी है लेकिन काउंसिल में जो सात नाम सामने आए हैं वो हैं.
तालिबान के सह संस्थापक और वर्तमान में संगठन का सबसे बड़ा नेता अब्दुल गनी बरादर.तालिबान के संस्थापक के बेटे मुल्ला याकूब. आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के खलील-उर-रहमान हक्कानी. अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला. इनके अलावा तालिबानी नेता हनीफ अतमार और गुलबुद्दीन हिकमतयार के नाम भी काउंसिल में शामिल हैं. इसके अलावा तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार के लिए मंत्रियों के भी नाम का ऐलान किया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि किसी समय तालिबान के कट्टर विरोधी रहे.
तालिबान के खिलाफ लड़ाई में CIA के प्रमुख सहयोगी
गुल आगा शेरजई को वित्तमंत्री नियुक्त किया गया है. शेरजई पहले कंधार और फिर नंगरहार के गवर्नर रहे हैं. तालिबान के खिलाफ लड़ाई में वे CIA के प्रमुख सहयोगी थे. गुल आगा शेरजई को तालिबान का कसाई भी कहा जाता है. लेकिन कुछ दिन पहले इन्होंने तालिबान की निष्ठा की कसमें खाईं. जिसके बाद इन्हें तालिबान में अहम पोजिशन मिली है. गुल आगा शेरजई के अलावा सद्र इब्राहिम को अंतरिम गृह मंत्री बनाया गया है.मुल्ला सखाउल्लाह को कार्यवाहक शिक्षा मंत्री और अब्दुल बारी को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया है. वहीं मुल्ला शिरीन को काबुल का गवर्नर मौलवी मुहम्मद नबी उमरी को खोस्त प्रांत का गवर्नर और हमदुल्ला नोमानी को काबुल का मेयर बनाया गया है.
कुल मिलाकर अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की कवायद तेज हो गई है.दूसरी ओर पंजशीर के आसपास तालिबान और विद्रोही गुट के बीच भीषण लड़ाई चल रही है. पंजशीर के लड़ाकों के पहाड़ों के ऊपर होने के कारण तालिबान पर वे भारी पड़ते दिख रहे हैं.बताया जाता है कि पंजशीर के कोटल अंजुमन जिले में आज भी नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाकों ने 35 तालिबानियों को ढेर कर दिया अभी भी दोनों ओर से फायरिंग जारी है.
इस बीच तालिबान भी लगातार पंजशीर की घाटी में अपने लड़ाकों और आर्टिलरी को बढ़ाता जा रहा है. वहां तालिबानी लड़ाके भी जमकर फायरिंग और रॉकेट लॉन्चर दागते दिख रहे हैं.आज तालिबान सूत्रों ने दावा किया है कि पंजशीर की कई अहम चौकियों पर तालिबान पहुंच गए हैं. ये भी दावा किया जा रहा है कि पंजशीर की मोबाइल कनेक्टिविटी काट दी गई है. कुछ रिपोर्ट्स यहां तक दावा कर रहे हैं कि पंजशीर के नेता अहमद मसूद तालिबान के सामने सरेंडर कर सकते हैं क्योंकि पंजशीर के चारों तरफ तालिबान का कब्जा हो चुका है.
नॉर्दर्न अलायंस के लीडर अहमद मसूद ने किया खंडन
हालांकि नॉर्दर्न अलायंस के लीडर अहमद मसूद ने इसका खंडन किया.आज भी उन्होंने पंजशीर में स्थानीय निवासियों को संबोधित किया और कहा कि जान दे देंगें. लेकिन पंजशीर की ज़मीन नहीं देंगे.मतलब अभी पंजशीर में तालिबान की दाल गलती नहीं दिख रही है.इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान की ताजा स्थिति पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर चर्चा की..और G-7 की मीटिंग के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन मीडिया से बात करेंगे. बताया जाता है कि वो अफगानिस्तान में रेस्क्यू को लेकर कुछ बड़ी बात कह सकते हैं क्योंकि अभी काबुल एयरपोर्ट से लगभग हर घंटे अमेरिकी प्लेन उड़ान भर रहे हैं और अमेरिकी और अफगानी लोगों को वहां से निकाला जा रहा है. इस बीच तालिबान ने अफगानियों के काबुल एयरपोर्ट पर जाने पर रोक लगा दी है.
बहरहाल..अब हम आपको काबुल एयरपोर्ट की एक तस्वीर दिखाते हैं..जो दिल को दहला देती है.देखिए एयरपोर्ट पर अफगानी तालिबानियों से इस कदर दहशत में हैं कि वो हवाई अड्डे के बाहर गंदे पानी के नाले में खड़े होकर विदेशी सैनिकों से मदद मांग रहे हैं.कुल मिलाकर काबुल एयरपोर्ट पर हालात बहुत बुरे हैं. चारों तरफ कूड़े का अंबार है और 80 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ है और इसी भीड़ को लेकर अब दुनिया में बड़ी फिक्र जताई जा रही है.फिक्र ये कि क्या अफगान संकट के बीच रिफ्यूजी के भेष में आतंकी पूरी दुनिया में फैल रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट से ये तस्वीरें लगातार आ रही हैं. रुक-रुक कर अंधाधुंध फायरिंग हो रही है. भीड़ के बीच मच रही है. लेकिन इस अराजकता के बीच ही सोमवार को कुछ ऐसा हुआ है. जिससे NATO देशों की सांस अटक गई.
अमेरिकी हथियारों पर कब्जा जमा चुके तालिबानी NATO
एयरपोर्ट के उत्तरी गेट पर..सोमवार को सुबह के 4 बजकर 13 मिनट हुए थे. जब कहीं से एक गोली चली और वो सीधे अफगानी गार्ड को आकर लगी. देखते ही देखते अमेरिका और ब्रिटिश सोल्जर्स का मददगार गार्ड ढेर हो गया. लेकिन एक गार्ड की मौत से मित्र देशों की सेना को सांप सूंघ गया था क्योंकि गार्ड को जो गोली लगी वो स्नाइपर राइफल से चली थी.अब सवाल उठता है कि एयरपोर्ट पर स्नाइपर राइफल से घात लगाने वाला कौन था? क्या अमेरिकी हथियारों पर कब्जा जमा चुके तालिबानी NATO सेना पर पीछे से वार करने लगे हैं? या फिर तालिबानी लड़ाका बनकर काबुल एयरपोर्ट को ISIS के आतंकियों ने भी घेर रखा है?
दरअसल अफगानिस्तान में अमेरिकी फोर्स की ताकत थी स्नाइपिंग राइफल्स और ड्रोन जिसके बूते उन्होंने बीस साल तक पठान लैंड में तालिबानियों को कुचलकर रखा.लेकिन 15 अगस्त पर काबुल पर नियंत्रण के बाद तालिबान के कब्जे में आर्टिलरी का वो जखीरा आ गया जो अफगान और यूएस आर्मी का था.
((इसका विजुअल भी है)) बताया जाता है कि अब तालिबानी आतंकी अमेरिका के घातक स्नाइपर राइफल्स से लैस हो चुके हैं और दो मील दूर से किसी को टारगेट कर सकते हैं..काबुल एयरपोर्ट पर अफगान गार्ड की हत्या के बारे में भी ऐसा ही कहा जा रहा है. क्योंकि काबुल में तालिबान के लड़ाके टेक्टिकल पोजिशन यानी ऊंचाई वाली जगहों पर भी काबिज हो चुके हैं.
अमेरिकी फोर्स अफगानिस्तान में स्ट्रेटेजिक लोकेशन पर मौजूद रही
अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद अब तालिबान के हाथ में अमेरिका, रूस और नाटो के हथियार हैं जिनमें हेलीकॉप्टर से लेकर टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां तक शामिल हैं. लेकिन मौजूदा हालात में सबसे खतरनाक हैं. स्नाइपिंग राइफल्स क्योंकि इसी राइफल्स के बूते अमेरिकी फोर्स अफगानिस्तान में स्ट्रेटेजिक लोकेशन पर मौजूद रही और तालिबानियों में इसका दहशत रहा लेकिन अब ये घातक हथियार तालिबान के हाथ लग चुके हैं और काबुल एयरपोर्ट पर जो मौजूदा हालात हैं.उसके मद्देनजर यहां आतंकी खतरा बढ़ता जा रहा है.
अब ज़रा काबुल एयरपोर्ट के हालात को समझिए..एयरपोर्ट के अंदर अमेरिका, ब्रिटेन और विदेशी फोर्स का नियंत्रण है..जहां करीब 90 हजार लोगों की भीड़ है.वहीं एयरपोर्ट की चहारदीवारी के बाहर तालिबानियों का पहरा है..जहां से लाखों अफगानी एयरपोर्ट के अंदर जाना चाहते हैं..लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर तालिबानी गोलियां चलाकर अफगानियों को मारपीट कर अराजकता पैदा करना चाहते हैं. ताकि हालात बेकाबू हो जाएं.
देशों को मिसाइल हमले का भी डर
आतंकी हमलों के खतरे के बीच अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों को मिसाइल हमले का डर भी सता रहा है. इसलिए इनके विमान काबुल एयरपोर्ट से फ्लेयर्स यानी आग को गोले छोड़ते हुए उड़ रहे हैं.इस वीडियो में दिख रहा है कि फ्रांस का एक विमान आतंकियों की Heat-Seeking Technology को भ्रमित करने के लिए फ्लेयर्स छोड़ रहा है. ऐसा करके ये विमान दुश्मनों की मिसाइलों को छका सकते हैं. नैट मतलब काबुल एयरपोर्ट पर ज़मीन से आसमान तक आतंक का दहशत है.आशंका है कि रिफ्यूजी के भेष में आतंकी अफगानिस्तान से निकलकर किसी भी देश में जा सकते हैं और इसका प्रमाण भी मिल रहा है.
काबुल से फ्रांस लाए गए पांच अफगानों को वहां सर्विलांस में रखा गया है.संदेह है कि ये सभी तालिबानी हैंइनमें से एक ने कबूल भी किया है कि उसका संपर्क तालिबान से रहा है.सूत्र बताते हैं कि इनमें ISIS जैसे आतंकी संगठन से जुड़े लोग भी हो सकते हैं.फ्रांस से हुए इस खुलासे से पूरी दुनिया की फिक्र बड़ी होती जा रही है..क्योंकि अफगानिस्तान पर तालिबान के संपूर्ण कब्जे के बाद से काबुल एयरपोर्ट पर अराजकता की स्थिति है.