अनारक्षित ट्रेन चलाने के पीछे रेलवे का मकसद आरक्षित ट्रेनों मेें लंबी दूरी का सफर करने वाले यात्रियों को जल्दी अंतिम स्टेशन तक पहुंचाना है। अभी आरक्षित ट्रेनों में तीन से चार जनरल कोच लगे रहते हैं। इनमें सफर करने के लिए रिजर्वेशन कराना पड़ता है। कोरोना संक्रमण के पहले तक तुरंत टिकट लेकर सफर कर सकते थे।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें आरक्षित होती हैं, लेकिन उसमें लगे जनरल कोचों की वजह से स्थानीय यात्री भी सफर करते हैं, उनके लिए ट्रेन को छोटे स्टेशनों पर रोकना पड़ता है। इस तरह उक्त ट्रेन में 500 से 1000 किलोमीटर का सफर करने वाले 90 फीसद यात्री परेशान होते हैं। उनकी शिकायत रहती है कि वे जल्दी अंतिम स्टेशन तक नहीं पहुंच पाते। यह सही भी है क्योंकि किसी भी ट्रेन को एक स्टेशन पर रोकने और फिर उसे आगे के लिए चलाने में स्टॉपेज समय के अलावा पांच से सात मिनट का समय लगता है। इस तरह प्रत्येक स्टेशनों पर रुकने की वजह से ट्रेन अधिक समय लेती है।
भोपाल मंडल- यहां दौड़ सकती हैं अनारक्षित ट्रेनें
इटारसी-बीना, इटारसी-कटनी, बीना-नागदा, बीना-गुना, इटारसी-भोपाल और भोपाल-इंदौर के बीच अनारक्षित ट्रेनें चलाई जा सकती हैं।
अभी 12 ट्रेनों में लगते हैं 48 जनरल कोच
रेल मंडल से सामान्य दिनों में 12 ट्रेनें चलती हैं। एक ट्रेन में चार कोच के हिसाब से 48 जनरल कोच लगते हैं। हालांकि कोरोना के चलते अभी इन कोचों में सफर के लिए रिजर्वेशन कराना पड़ता है।
रेलवे व यात्रियों को होगा लाभ
सामान्य डिब्बों में सफर करने वाले यात्रियों को कम समय में अधिक ट्रेनें मिलेंगी। कम आय वालेे यात्रियों के लिए भी अधिक ट्रेनों का विकल्प होगा।
सामान्य डिब्बों की वजह से सभी ट्रेनों की गति प्रभावित नहीं होगी। लंबी दूरी की ट्रेनों की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
खिड़की व ऑनलाइन मिलेंगे टिकिट
अनारक्षित टिकट रेलवे काउंटर और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से ले सकते हैं। यह सुविधा तभी चालू होगी जब अनारक्षित ट्रेनों को चलाने की तारीख तय होगी
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