भोपाल । कई कारणों की वजह से एक व्यक्ति की नज़र कमज़ोर हो सकती है, जिसमें डायबिटीज़, आई ट्राॅमा, मोतियाबिन्द (कैटेरेक्ट या ग्लुकोमा) ाामिल हैं। दुनिया भर में तकरीबन 3.6 करोड़ लोग अंधेपन का शिकार हैं, जिसमें से 1 करोड़ मरीज़ सिर्फ भारत में हैं। हालांकि समय पर निदान और हस्तक्षेप के द्वारा इस समस्या को रोका जा सकता है। किंतु आंखों की देखभाल की बात करें तो इस बारे में जागरुकता एवं ज़रूरी सेवाओं की उपलब्धता की कमी है।
इस साल दुनिया भर में 8 अक्टूबर को विव दृटि दिवस (वल्र्ड साईट डे) मनाया जा रहा है। इस सालाना आयोजन के द्वारा दुनिया भर में अंधेपन एवं नज़र की कमज़ोरी से जुड़ी समस्याओं पर जागरुकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। विव दृटि दिवस के मौके पर टाइटन आईप्लस नागरिकों से अपील कर रहा है कि अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालें और आंखों की जांच केे लिए आसान सा आॅनलाईन स्क्रीनिंग टेस्ट करें, इससे आप ये जान सकते हैं कि आपको विज़न करेकन (यानि चमा या लैंस लगाने) की आवयकता है या नहीं। स्क्रीनिंग के परिणामों के आधार पर, ब्राण्ड उपभोक्ताओं से अनुरोध करता है कि वे नेत्र रोग विोाज्ञ (अनुभवी आफ्थेल्मोलोजिस्ट या प्रािक्षित आॅप्टोमेट्रिस्ट) से संपर्क करें।
श्री साॅमेन भौमिक, सीईओ, आईवियर डिविज़न, टाईटन कंपनी लिमिटेड ने इस पहल के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘मनुय के मस्तिक के द्वारा प्राप्त किए जाने वाले डाटा का 80 फीसदी हिस्सा आंखों से ही अधिग्रहीत किया जाता है, ऐसे में आंखों के स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती। किंतु अक्सर हम प्रकृति से मिले इस उपहार का नाजायज़ फायदा उठाते हैं और अपनी आंखों की देखभाल ठीक से नहीं करते हैं। किसी भी भारतीय को यह जानकर अच्छा नहीं लगेगा कि दुनिया भर में अंधे लोगों की 25 फीसदी आबादी यानि 36 मिलियन लोग भारत में रहते हैं। तो इस विव दृटि दिवस के मौके पर हम नागरिकों से अपील करते हैं कि अपनी व्यस्त दिनचर्या में से सिर्फ 60 सैकण्ड निकालिए, आंखों के लिए आसान सा स्क्रीनिंग टेस्ट कीजिए ओर जानिए कि क्या आपकी आंखें बिल्कुल ठीक हैं!’’
55 करोड़ भारतीयों को विज़न करेकन की ज़रूरत है, जबकि सिर्फ 14 करोड़ भारतीय ही किसी न किसी प्रकार के समाधान को अपनाते हैं। कोविड-19 के चलते सभी आयु वर्गों केे लोगों का स्क्रीन-टाईम बढ़ गया है, जिसके चलते आंखों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में आंखों की देखभाल और भी ज़रूरी हो जाती है। टाईटन आई प्लस उपभोक्ताओं को प्रेरित करता है कि जहां तक हो सके अपनी आंखों पर ध्यान दें, उनकी देखभाल करें।
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